
तीन राज्यों के चुनाव से पहले फ्रंटफुट पर BJP, अमित शाह ने बनाया मास्टर प्लान
साल के अंत में होने वाले तीन राज्यों के चुनाव (Election) से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party/ BJP) फ्रंटफुट पर है. केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने पिछले दिनों ताबड़तोड़ बैठकें कर पार्टी की चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. वहीं विपक्षी दल (Opposition Parties) अभी तक ये भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर चुनाव का मुद्दा क्या होगा.
तीन तलाक (Triple Talaq), 35 ए, आर्टिकल 370 (Article 370) जैसे मुद्दों पर बीजेपी जहां फ्रंटफुट पर है, वहीं विपक्षी पार्टियां अभी तक ये तय नहीं कर पा रही है कि उन्हें इन मुद्दों का विरोध करना या समर्थन. जिन तीन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं वहां के ज्यादातर नेता फिलहाल विरोध में रहकर भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: पड़ताल : नरेंद्र मोदी को ड्रैकुला बताने वाले पोस्टर AMU के नहीं तो कहां के हैं?
अमित शाह ने बनाया मास्टर प्लान
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो तीन राज्यों में बीजेपी, राज्य सरकार के कामों के साथ-साथ केंद्र सरकार के कामों को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी. पार्टी तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर में 35ए और 370 हटाने जैसे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कड़े फैसलों को जनता तक लेकर जाएगी. 70 साल पुरानी इस समस्या को जिस तरह बीजेपी सरकार ने जड़ से खत्म कर दिया है, उसके बाद साफ है कि अगर ये चुनावी मुद्दा बन गया तो विरोधी दल किसी भी हालत में बीजेपी को चुनौती नहीं दे पाएंगे.
चुनाव के पहले अलग-थलग पड़ा विपक्ष
जिन तीन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं वहां मुख्य विरोधी दल कांग्रेस है. कांग्रेस वर्तमान में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पार्टी ने सोनिया गांधी को एक बार फिर अंतरिम अध्यक्ष बनाकर अध्यक्ष पद की समस्या को फौरी तौर पर भले ही हल कर लिया हो लेकिन जिस तरह 370 और 35ए पर पार्टी के नेता आपस में बंटे हुए हैं, उससे साफ है कि पार्टी एकजुट होकर चुनावी तैयारी नहीं कर रही है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इन नेताओं के बीच इस मामले पर हुए मतभेद का असर नीचे तक दिख रहा है. जिसका असर इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ना तय है.
एकतरफा दिख रहा है तीन राज्यों का ये चुनाव
इन तीन राज्यों के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर नजर डालें तो एक बात साफ है कि बीजेपी के सामने विरोधी पार्टियों की तैयारियां न के बराबर हैं. विपक्ष के दिग्गज नेता लगातार अपनी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. बात करें महाराष्ट्र की तो एक ओर जहां शिवसेना और बीजेपी में गठबंधन की बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, वहीं कांग्रेस और एनसीपी में बातचीत अभी तक शुरू भी नहीं हो पाई है. हरियाणा में तो बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी रैली की शुरुआत भी कर दी है. कुछ यही हाल झारखंड में दिख रहा है. साफ है अगर इन परिस्थितियों का ठीक ढंग से आकलन करें तो इन तीन राज्यों का चुनाव एकतरफा होता दिख रहा है.
तीन तलाक (Triple Talaq), 35 ए, आर्टिकल 370 (Article 370) जैसे मुद्दों पर बीजेपी जहां फ्रंटफुट पर है, वहीं विपक्षी पार्टियां अभी तक ये तय नहीं कर पा रही है कि उन्हें इन मुद्दों का विरोध करना या समर्थन. जिन तीन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं वहां के ज्यादातर नेता फिलहाल विरोध में रहकर भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ कर रहे हैं.
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अमित शाह ने बनाया मास्टर प्लान
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो तीन राज्यों में बीजेपी, राज्य सरकार के कामों के साथ-साथ केंद्र सरकार के कामों को भी चुनावी मुद्दा बनाएगी. पार्टी तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर में 35ए और 370 हटाने जैसे प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कड़े फैसलों को जनता तक लेकर जाएगी. 70 साल पुरानी इस समस्या को जिस तरह बीजेपी सरकार ने जड़ से खत्म कर दिया है, उसके बाद साफ है कि अगर ये चुनावी मुद्दा बन गया तो विरोधी दल किसी भी हालत में बीजेपी को चुनौती नहीं दे पाएंगे.
चुनाव के पहले अलग-थलग पड़ा विपक्ष
जिन तीन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं वहां मुख्य विरोधी दल कांग्रेस है. कांग्रेस वर्तमान में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पार्टी ने सोनिया गांधी को एक बार फिर अंतरिम अध्यक्ष बनाकर अध्यक्ष पद की समस्या को फौरी तौर पर भले ही हल कर लिया हो लेकिन जिस तरह 370 और 35ए पर पार्टी के नेता आपस में बंटे हुए हैं, उससे साफ है कि पार्टी एकजुट होकर चुनावी तैयारी नहीं कर रही है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इन नेताओं के बीच इस मामले पर हुए मतभेद का असर नीचे तक दिख रहा है. जिसका असर इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ना तय है.
एकतरफा दिख रहा है तीन राज्यों का ये चुनाव
इन तीन राज्यों के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर नजर डालें तो एक बात साफ है कि बीजेपी के सामने विरोधी पार्टियों की तैयारियां न के बराबर हैं. विपक्ष के दिग्गज नेता लगातार अपनी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. बात करें महाराष्ट्र की तो एक ओर जहां शिवसेना और बीजेपी में गठबंधन की बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है, वहीं कांग्रेस और एनसीपी में बातचीत अभी तक शुरू भी नहीं हो पाई है. हरियाणा में तो बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी रैली की शुरुआत भी कर दी है. कुछ यही हाल झारखंड में दिख रहा है. साफ है अगर इन परिस्थितियों का ठीक ढंग से आकलन करें तो इन तीन राज्यों का चुनाव एकतरफा होता दिख रहा है.




























































