
झारखंड पहुंचकर भी दर दर भटक रहे श्रमिक, घर पहुंचाने के लिए मांगे जा रहे 12- 15 हजार
- लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर बुरी तरह से फंस गया है। मज़दूर अपने राज्य में तो लौट रहा है लेकिन अपने घरो तक नहीं पहुंच पा रहा।
 - सरकार ने इनको दूसरे राज्यों से लाकर छोड़ दिया। इनको घरों तक पहुंचाने के लिए सरकार की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया गया है ।
 - दुमका के संजीव कुमार कोरोना से बचने के लिए एक सप्ताह पहले रांची में पहुंचे थे लेकिन रांची से दुमका जाने का उन्हें कोई साधन नहीं मिल रहा।
 - मज़दूरों ने बताया प्राइवेट टैक्सी वाले घर पहुंचाने के लिए 12-15 हजार रुपए तक मांग रहे हैं. ना हमारे पास पैसे है ना पैदल चलने की हिम्मत।
 - इस मामले में मंत्री आलमगीर ने कहा कि सरकारी स्तर पर इसका समाधान किया जा रहा हैं। सरकार मजदूरों को बसों से घर पहुंचा रही है।
 


 


























































