नीतीश मीडिया के सामने खो रहे हैं आपा, राजनीति में करो या मरो की स्थिति

  • जिसने भी पिछले तीन दशकों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कवर किया है, वह जानता है कि वह अपना आपा कभी नहीं खोते हैं, निश्चित रूप से तब तो बिलकुल ही नहीं जब वह मीडिया के आसपास होते हैं.
  • जब भी कोई विवाद हुआ है या मीडिया ने उन पर उंगलियां उठाई हैं, तो उन्होंने इसे नज़रअंदाज कर दिया है और कहा है कि ‘आप जो चाहें लिख सकते हैं या दिखा सकते हैं.’
  • यह एक साल में दूसरी बार है जब नीतीश कुमार मीडिया के सवालों से घिरे हैं. इस साल जून में, उनपर बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौतों पर सवाल उठाए गए, इन मौतों का कारण एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) था.
  • वास्तव में, जद (यू) के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि नीतीश का गुस्सा मीडिया पर ही नहीं बल्कि सहयोगी भाजपा पर भी है. पिछले कुछ महीनों में गठबंधन में दरारें दिखाई देने लगी हैं.
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  • मोदी-शाह की भाजपा को अब नीतीश कुमार की जद (यू) की जरूरत नहीं है और 2017 में महागठबंधन से बाहर निकलकर, उन्होंने विपक्ष (राजद और कांग्रेस) के साथ को ख़त्म कर दिया है. 

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