भीमा कोरेगांव हिंसा के एक साल बाद भी ना तो जमानत और ना ही सुनवाई
भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी, 2018 को हिंसा भड़की थी.
पुणे के नज़दीक स्थित भीमा-कोरेगांव में पेशवाओं के ऊपर दलितों की जीत के 200 साल पूरे होने के जश्न के दौरान हिंसा भड़की थी. जिसमें एक आदमी की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल हो गए थे.
इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी ली जिसमें सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, सुधीर धवले, महेश राउत, रोना विल्सन शामिल थे.
पुलिस ने इन सभी को गिरफ्तार किया और दलील दी कि इनके यहां से ज़ब्त कागज़ातों की जांच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या किए जाने की साजिश का पता चला.
एक साल बीत जाने के बाद भी इन लोगों की न ठीक से सुनवाई हुई और न ही जमानत मिली.