ट्रैफ़िक नियम नेताओं और मंत्रियों पर क्यों नहीं लागू होते
नए मोटर वाहन क़ानून के आम जनता पर एकतरफ़ा अमल से यह ज़ाहिर है कि देश में नेताओं के लिए अब भी अभिजात्य व्यवस्था का दौर जारी है.
रोड-शो के काफिले में 10 से ज़्यादा गाड़ियां नहीं हो सकतीं लेकिन चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की अनुमति के नाम पर आयोजित होने वाले रोड-शो में मोटर वाहन का धड़ल्ले से उल्लंघन होता है.
इस अराजकता को रोकने के लिए आम चुनावों के पहले सीएएससी संस्था के माध्यम से राज्यों के चीफ़ सेक्रेटरी को प्रतिवेदन भेजे गए, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं हुई.
चुनावी रथ और उस पर चलने वाले नेताओं का सीट बेल्ट नहीं पहनने, और वाहनों में ओवरलोडिंग के लिए यदि भारी जुर्माना लगे तो फिर आम जनता पर नियमों को लादना शायद आसान हो जाय!
देश में रूल ऑफ़ लॉ की स्थापना के लिए सत्ताधीशों पर क़ानून को प्रभावी तरीक़े से लागू करने के बाद ही, जनता से क़ानून के अनुपालन की अपेक्षा होनी चाहिए,