ED की हिरासत में क्यों जाना चाहते हैं चिदंबरम, जानिए क्या है पुलिस कस्टडी और जुडिशल कस्टडी में अंतर

  • चिदंबरम ने प्रर्वतन निदेशालय के सामने सरेंडर करने के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की थी. कोर्ट ने पी चिदंबरम की मांग को खारिज करते हुए कहा कि आईएनएक्स मीडिया मामले में ईडी की कोई शिकायत या चार्जशीट पेंडिंग नहीं है.
  • साथ ही ईडी अभी पी चिदंबरम को हिरासत में भी नहीं लेना चाहती है. ईडी बाद में पी चिदंबरम को हिरासत में लेगी. ऐसे में हम चिदंबरम को अभी ईडी की हिरासत में भेजने का आदेश नहीं दे सकते हैं.
ये है अंतर-
  • पुलिस कस्टडी में शिकायत पर एक्शन लेते हुए पुलिसकर्मी आरोपी को ‘पुलिस थाने’ लेकर जाते है जबकि ज्यूडिशियल कस्टडी में आरोपी को ‘जेल’ में रखा जाता है.
  • पुलिस कस्टडी उस समय शुरू होती है जब पुलिस अधिकारी किसी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है जबकि ज्यूडिशियल कस्टडी तब शुरू होती है जब न्यायाधीश आरोपी को पुलिस कस्टडी से जेल भेज देता है.
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  • पुलिस कस्टडी में रखे गए आरोपी को 24 घंटे के अंदर किसी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है जबकि ज्यूडिशियल कस्टडी में रखे गए आरोपी को तब तक जेल में रखा जाता है जब तक कि उसके खिलाफ मामला अदालत में चलता है या जब तक कि अदालत उसे जमानत पर रिहा न कर दे.

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