शांता कुमार ने देर रात ट्वीट कर जाहिर की मन की टीस, निकल रहे कई मायने

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार से नाराज चल भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार को मनाने के लिए बेशक उनसे पालमपुर जाकर बात की, लेकिन उनकी टीस रात पौने 11 बजे किए गए ट्वीट से सामने आ गई। लंबे समय से शांता को राज्यपाल नामित किए जाने की अटकलों को तीन दिन पहले घोषित सूची में भी संबल नहीं मिला। शांता ने ट्वीट में लिखा है कि 1967 में शुरू हुई राजनीति की सक्रियता छोडऩा उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है।
दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी लेकिन 75 साल से अधिक आयु होने के कारण वह मोदी सरकार में जगह नहीं बना सके और मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिए गए। 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने चुनावी राजनीति से किनारा करने की घोषणा की थी। उसके बाद अटकलें चल रही थीं कि शांता को किसी प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन मोदी-2 सरकार के कार्यकाल में उन्हें अभी तक इस जिम्मेदारी को निभाने का मौका नहीं मिला है। संभवत: यही टीस शांता कुमार के मन में थी, जिसे उन्होंने ट्वीट कर जाहिर भी कर दिया।
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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से एक घंटे तक बंद कमरे में हुई मुलाकात के दौरान शांता ने उन्हें अपनी किताब अलविदा चुनावी राजनीति भी भेंट की। इस दौरान उनकी आंखों में अजब सी बैचेनी भी महसूस की गई। बेबाक राय के लिए जाने जाते शांता कुमार का देर रात ट्वीट करना कई चर्चाओं को जन्म दे गया। शांता कुमार चुनावी राजनीति को छोडऩे की घोषणा पहले ही कर चुके हैैं। आज उन्होंने कहा कि राजनीति तो चलती रहेगी लेकिन सक्रियता नहीं रखेंगे। यह बात भी उपरोक्त संदर्भ के साथ स्वत: जुड़ रही है।
शांता कुमार का ट्वीट
जीवन के इस वर्ष में मैैंने 1967 में शुरू की हुई चुनाव की राजनीति को अलविदा कह दिया। राजनीति तो 1953 में कश्मीर आंदोलन में सत्याग्रह करके और आठ माह जेल काटकर शुरू की थी। 64 साल की राजनीति तो चलती रहेगी परंतु राजनीति की सक्रियता छोड़ूंगा, यह परिवर्तन मेरे जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है।

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