अमित शाह भाजपा के अधयक्ष हैं
. पार्टी के चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने से लेकर संसद में पेश होने वाले हर बिल पर उनकी सहमति व उनके बयान महत्वपूर्ण होते हैं
. चाहे वो तीन तलाक हों या अनुच्छेद 370, हर मुद्दे पर शाह ने जोरशोर से मुद्दे और पार्टी की लाइन स्पष्ट रखी
. लेकिन अगर बात हालिया जारी एनआरसी लिस्ट की करें तो उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली है.यह भी पढें: ‘एनआरसी’ से मंत्री, बीजेपी सहयोगी तक नाराज़, कोई ख़ुश क्यों नहीं?साल 2018 की जुलाई में जब एनआरसी का ड्राफ्ट जारी हुआ था, तब अमित शाह इसको लेकर मुखर रूप से अपनी बात रख रहे थे. संसद से लेकर चुनावी सभाओं तक वे इसकी वकालत करते नजर आ रहे थे. उस वक्त वे देश के सभी राज्यों में एनआरसी लागू कर देश के अंदर रह रहें 'घुसपैठियों' को बाहर करने की बात कर रहे थे. लेकिन अब नई एनआरसी की लिस्ट आने के बाद से वे खामोश हैं. इस मुद्दे पर अब तक उनका कोई बयान या ट्वीट नहीं आय़ा है. वहीं असम भाजपा में उनके भरोसेमंद साथी और वहां के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा ने नई लिस्ट में अपनाए गए तरीकों पर खुले आम सवाल उठाया है.