नारायणगढ़ शुगर मिल की गन्ने के बकाया 79 करोड़ रुपए की पेमेंट के लिए 6 दिन से जल सत्याग्रह पर बैठे किसानों को समर्थन देने पहुंचे इनेलो नेता अभय चौटाला यहां मंच से राजनीति की बात होने पर बिफर उठे। उन्होंने किसानों को धरने का नेतृत्व कर रहे भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम चढ़ूनी से बचकर रहने की सलाह दे डाली। बात तब बिगड़ी जब किसान संघर्ष समिति के विनोद राणा खुड्डा कलां ने अभय से कहा कि वे लाडवा हलके से चुनाव की तैयारी कर रहे चढ़ूनी की मदद करें। इस पर अभय यह कहकर उठकर चल दिए कि वे यहां किसानों का समर्थन करने आए हैं, किसी की राजनीतिक लालसा पूरी करने नहीं आए। इसके बाद चढ़ूनी ने माइक संभाला और कहा कि ये वही चौटाला हैं, जिन्होंने किसानों को जेल में डाला था और गोलियां चलवाई।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस को दी गई चुनौती में कितना दमअभय चौटाला करीब 1 बजे यहां पहुंचे तब गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने स्वागत किया। चौटाला ने कहा कि सरकार को चाहिए कि मिल प्रबंधन से पैसे दिलवाए। चाहे सरकार लोन दे। यदि सरकार जल्द प्रबंध नहीं करती तो मैं धरने पर साथ बैठने को तैयार हूं लेकिन धरना यहां नहीं वहां होगा जहां से सरकार से हिल जाए। ओमप्रकाश चौटाला में 2000 में मिल से 60 करोड़ दिलवाया था। अभय नदी में बैठे किसानों से मिलकर आए और लंगर आदि के लिए 51 हजार देने की घोषणा कर दी। इसके बाद पैसे देने के लिए नदी किनारे किसानों की सभा में लौटे तो उन्हें खीर परोसी गई। खीर खाते-खाते ही सारी बात बिगड़ गई। चौटाला बिना पैसे दिए ही उठकर चल दिए।