राज्यपाल आनंदीबेन ने गोद ली टीबी से ग्रसित बच्ची, कहा- उपकार नहीं, यह जागृत समाज का फर्ज

टीबी की बीमारी से ग्रस्त बच्चों के लिए पहले ही अपनी भावनाएं जाहिर कर चुकीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को इस रोग से ग्रसित एक बच्ची को गोद ले लिया। उनकी पहल पर राजभवन के अधिकारियों ने भी अन्य 21 बच्चों को गोद लिया। अब अधिकारियों का दायित्व होगा कि बच्चों को सरकारी दवा और पौष्टिक आहार सुचारु रूप से मिलता रहे।
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में सभी बच्चों को पौष्टिक आहार और फल का वितरण किया गया। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दृष्टि से यह तय किया गया है कि टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की पहल राजभवन से की जाए। उन्होंने कहा कि गोद लेना कोई उपकार नहीं है। जागृत समाज का फर्ज है कि समाज स्वस्थ हो। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुजरात और मध्यप्रदेश के अनुभव साझा करते हुए बताया कि ऐसे प्रयास से रोगग्रस्त बच्चे कम समय में ही स्वस्थ हो गए और इससे प्रेरणा लेकर समाज के लोगों ने ज्यादा से ज्यादा बच्चे गोद लिए।
जिला क्षय रोग निवारण अधिकारी डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि लखनऊ जिले में टीबी के 14,600 मरीज चिन्हित किए गए हैं। दवाई और पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये भत्ता सीधे उनके खाते में भेजा जा रहा है। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव और विशेष सचिव डॉ. अशोक चंद्र भी उपस्थित थे।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद ही लखनऊ के प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बाल गृह शिशु और राजकीय दत्तक गृह पहुंच गई थीं। यहां उन्होंने न केवल बच्चों से बातचीत की बल्कि बालगृह की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली थी। उन्होंने यहा व्यापक सुधार के निर्देश दिये थे। उन्होंने यहा अतिरिक्त कमरे बनवाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने डॉरमेट्री, किचन और डॉक्टर कक्ष भी देखा। राज्यपाल ने बच्चों के लिए आवासीय कक्ष और मनोरंजन कक्ष बनवाने का भी निर्देश दिया था।
 
 

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