अरुण जेटली के निधन पर बिहार में दो दिनों का राजकीय शोक, नेताओं ने बताया- अपूरणीय क्षति

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लंबी बीमारी के बाद दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर निधन हो गया है। अरुण जेटली को इसी माह नौ अगस्‍त को सांस लेने में दिक्‍कत के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे बिहार में शोक की लहर व्याप्त है। बिहार के राज्यपाल फागु चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, अश्विनी चौबे, पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव,  राजद नेता शिवानंद तिवारी सहित भाजपा नेताओं ने अरुण जेटली को अपनी श्रद्धांजलि दी है। भाजपा व जदयू कार्यालयों में श्रद्धांजलि सभा की गई।
सीएम नीतीश ने जतायी गहरी संवेदना 
मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली के निधन पर अपनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि अरूण जेटली जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निवर्हन किया। वे एक उत्कृष्ट न्यायविद भी थे। उन्‍होंने कहा कि जेटली ने उच्च राजनीतिक मूल्यों एवं आदर्षाें की बदौलत सार्वजनिक जीवन में उच्च शिखर को प्राप्त किया। उन्हाेंने अपने व्यक्तित्व की बदौलत राजनीतिक सीमाओं के परे सभी विचारधारा के राजनीतिक दलों का आदर एवं सम्मान प्राप्त किया। अरूण जेटली जी से मेरा व्यक्तिगत संबंध था, उनके निधन से मैं काफी मर्माहत हूं। अरूण जेटली जी का निधन देश के लिये एक अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता, उनकी कमी हमेशा खलेगी। 
सुशील मोदी बोले: बिहार के लिए कई बार बने थे संकटमोचक
अरुण जेटली के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उन्हें बेहतरीन रणनीतिकार, कुशल चुनाव प्रबंधक, प्रखर प्रवक्ता, राजनीति से लेकर क्रिकेट की बारीकियों का जादूगर, उदारवादी परंतु राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत, मित्रता निभाने वाला राजनेता बताया हैं। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि अरुण जेटली की कमी को वर्षों तक पूरा नहीं किया जा सकेगा। मोदी ने कहा कि अगर अरुण जेटली नहीं होते तो जीएसटी लागू करना कठिन होता। विभिन्न विचारों के बीच सहमति बनाने में वे माहिर थे। अनेक बार राजनीतिक संकट उत्पन्न होने पर बिहार के लिए भी जेटली जी संकटमोचक साबित हुए थे।

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