भारत रत्न और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा - पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना संभव

भारत रत्न और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मानना है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है, लेकिन वह अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति की वजह से बढ़ी हुई नहीं होनी चाहिए, बल्कि वास्तविक अर्थव्यवस्था होनी चाहिए. एसोसिएशन ऑफ कॉरपोरेट एडवाइजर्स एंड एग्जिक्यूटिव्स के 60वें स्थापना समारोह में पहुंचे श्री मुखर्जी ने प्रोफेसर सुकुमार भट्टाचार्य मेमोरियल लेक्चर देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक विश्व में क्रय क्षमता के लिहाज से विश्व का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की है. हालांकि मौजूदा स्थिति चुनौतीपूर्ण है. भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का देश जरूर बन सकता है, लेकिन जरूरत है कि वह अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति की वजह से बढ़ी हुई न हो बल्कि वास्तविक हो. 
श्री मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 2017 और 2018 की पहली तिमाही पर नजर डालें, तो विश्व भर में विकास की गति धीमी रही. विभिन्न क्षेत्रों में उभरते राजनीतिक तनाव तथा इरान व कतर के ऊर्जा संकट से स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है. भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रतिकूल प्रभाव से खुद को पृथक नहीं कर सकती. भारत के सामने समस्या है कि उसका क्षेत्रफल समूचे विश्व के क्षेत्रफल का महज 2.4 फीसदी है, लेकिन जनसख्या 17.8 फीसदी है. जमीन, पेयजल, ऊर्जा की कमी आदि इस समस्या को और भी गंभीर बनाती है. 
मंदी के संकेत गत वर्ष से मिलने शुरू हो गये हैं. इससे निपटने के लिए निवेश जरूरी है, क्योंकि बिना निवेश के अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हो सकता. जीएसटी कानून के संबंध में श्री मुखर्जी का कहना था कि कई टैक्सों की बजाय एक टैक्स सही दिशा में कदम है, लेकिन इसके विभिन्न विवादित विषयों पर स्पष्टता की जरूरत है. चार्टर्ड एकाउंटेंट जैसे प्रोफेशनल्स अर्थव्यवस्था की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सीए को वित्तीय सेक्टर में अधिक मौके मिले, तो देश तेज गति से आगे बढ़ सकता है. इस दिशा में प्रौद्योगिकी का सहारा लेना होगा. रोजाना ही घोटालों की खबर आती है. इन घोटालों के लिए भी तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है. कानून व आइटी कौशल इन घोटालों का मुकाबला करने के लिए जरूरी है. एकाउंटिंग में पारदर्शिता, भरोसा और स्वेच्छा से स्वनियमन का ऐसे प्रोफेशनल्स पालन करें. कॉरपोरेट गवर्नेंस क्रमश: प्रभावी हो रहा है. विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडिकेटर में भारत 190 देशों में 77वें स्थान पर है.

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