पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के अध्यादेश के विरोध में उतरी कांग्रेस

छोटा राज्य, माली हालत खराब। देहरादून में सरकारी दफ्तरों, विश्वविद्यालयों, स्तरीय शिक्षण संस्थानों के लिए भूमि-भवन का संकट तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी खर्च पर सुविधाएं जुटाने का बंदोबस्त। सरकार की इस पूरी कवायद को दो मोर्चों पर चुनौती मिलने जा रही है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत तमाम सुविधाएं देने पर सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दे चुके हैं। इसी वजह से उत्तरप्रदेश की पिछली सपा सरकार की इसी तरह की कोशिशों को अदालत से झटका लग चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यही नजीर उत्तराखंड सरकार के फैसले पर भारी पड़ सकती है। साथ में प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार के लिए सियासी मोर्चे पर भी मुश्किलें बढ़ना तय हो गया है। 
कांग्रेस ने उठाए सवाल 
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। पूर्व मुख्यमंत्री के नाते ऐसी सुख-सुविधाओं के दायरे में आने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व हरीश रावत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करने के बजाए उसका आदर और पालन करना चाहिए।
ये है मामला  
राज्य मंत्रिमंडल बीती 13 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत तमाम सुविधाएं देने के संबंध में अध्यादेश को मंजूरी दे चुकी है। हाईकोर्ट के पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर से सरकारी आवास का किराया वसूल करने के आदेश के बाद सरकार ने इसकी तोड़ के रूप में अध्यादेश के जरिये पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत तमाम सुविधाएं देने का कदम उठा तो लिया, लेकिन इससे कई मोर्चों पर सरकार की जवाबदेही बढ़ गई है।
 

More videos

See All