छत्तीसगढ़ सरकार ने इस खास वर्ग को दिया आरक्षण का गिफ्ट, विपक्ष ने बताया राजनीतिक लाभ का खेल

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के अनुसूचित जाति वर्ग को 13 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है. कहा जा रहा है कि सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ा कर बड़ा सियासी दांव खेलने की कोशिश की है. ओबीसी और एससी वर्गों का आरक्षण बढ़ाकर नया कीर्तिमान रचा गया है. यहां इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि सूबे में निकाय चुनाव भी होने है. लोकसभा चुनाव में लगे करारे झटके को देखते हुए कांग्रेस स्थानीय चुनाव में कोई रिस्क लेना के मूड में नहीं है. आरक्षण की घोषणा कर कांग्रेस अपने पैर मजबूत करने की भी कोशिश कर रही है. सियासी गलियारों में अब आरक्षण बढ़ाने के पीछे के गुना-गणित पर चर्चाएं तेज हो गई है.
क्या है छत्तीसगढ़ में आरक्षण की स्थिति
छत्तीसगढ़ सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया. तो वहीं एससी वर्ग के आरक्षण में भी एक फीसदी की बढ़ोत्तरी करते हुए 12 से 13 फीसदी कर दी है. इस फैसले के बाद अब छत्तीसगढ़ में कुल आरक्षण 68 से बढ़कर 82 फीसदी हो गई है. इसमें गरीब सवर्णों को दिए जाने वाला 10 फीसदी आरक्षण शामिल है.
विपक्ष भी समर्थन में!
छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़ाए जाने के पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तर्क है कि अन्य कई राज्यों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है और यहां भी बहुप्रतिक्षित मांग थी, जिसे सरकार ने पूरा कर उन्हें उनका हक दिया है. तो वहीं राजनीतिक तौर पर यह मामला इतना ज्वलनशील है कि विपक्ष इसमें हाथ डालने और विरोध करने के बजाय इसका समर्थन कर रही है. इस मसले पर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह  का कहना है कि पहले भी आरक्षण 58 फीसदी किया गया था. ओबीसी की मांग जायस थी. उनकी मांग पूरा करना ही था.

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