''हम सब खो चुके हैं, अब लड़ाई जारी रखने के अलावा कोई और रास्ता नहीं''

नौकरशाह से राजनेता बने शाह फैसल ने कहा कि केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने और राज्य को दो भागों में बांटने से पहले कश्मीर को अप्रत्याशित बंद का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन जैसे नेताओं से भी संपर्क कर पाना भी संभव नहीं था.
फेसबुक पर लिखते हुए फैसल ने कहा, ‘कश्मीर को अप्रत्याशिक बंद का सामना करना पड़ रहा है. जीरो ब्रिगेड से हवाईअड्डे तक कुछ गाड़ियों की आवाजाही देखी जा रही है. अन्य इलाके पूरी तरह से बंद हैं. केवल मरीजों और कर्फ्यू पास वालों को ही आने-जाने की इजाजत है. उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन तक पहुंचना या उन्हें मेसेज भेजना संभव नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘अन्य जिलों में कर्फ्यू अधिक सख्त है. आप कह सकते हैं कि 80 लाख की पूरी आबादी को बंधक बनाकर रखा गया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ.’
पूर्व आईएएस अधिकारी ने आगे कहा, ‘फिलहाल के लिए खाने-पीने और अन्य आवश्यक सामग्रियों की कोई कमी नहीं है. प्रशासन में मेरे सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों को दिए गए सैटेलाइट फोन नागरिक आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. संचार का कोई और साधन उपलब्ध नहीं है. जिनके पास डिश टीवी है वे खबरें देख रहे हैं. केबल सेवाएं बंद हैं. अधिकतर लोगों को अभी  भी पता नहीं है कि क्या हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘कुछ घंटे पहले तक रेडियो काम कर रहा था. अधिकतर लोग दूरदर्शन देख रहे हैं. राष्ट्रीय मीडिया को भी आंतरिक इलाकों में जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. आखिरी समय पर किसी परेशानी से बचने के लिए महिलाएं कई दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती हो जा रही हैं जिसकी वजह से एलडी अस्पताल में क्षमता से अधिक मरीज हो गए हैं. यहां कुछ लोग लंगर लगाने की योजना बना रहे हैं.’
हिंसा की कोई वारदात न होने की जानकारी देते हुए फैसल ने कहा, ‘रामबाग, नातिपोरा, डाउनटाउन, कुलगाम, अनंतनाग जैसे इलाकों से पत्थरबाजी की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं. हालांकि, किसी की हत्या की खबर नहीं है.’
अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बारे में कश्मीरियों की प्रतिक्रिया के बारे में बताते हुए फैसले ने कहा, ‘लोग सदमे में और सन्न हैं. वे अभी इसका अंदाजा भी नहीं लगा पाए हैं कि इसका क्या असर होगा. हमने जो खोया हर कोई उसका दुख मना रहा है. 370 को लेकर लोगों से मेरी बातचीत के अनुसार, यह राज्य का नुकसान है, जिसने लोगों गहरा दुख दिया है. इसे पिछले 70 सालों में भारत द्वारा किए गए सबसे बड़े धोखे के रूप में देखा जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘हिरासत में लिए जाने से बच गए कुछ नेताओं ने टीवी चैनलों के माध्यम से शांति बनाए रखने की अपील की है. ऐसा कहा गया कि सरकार 8-10 हजार लोगों की मौत के लिए तैयार है. इसलिए हमारा विवेक हमसे मांग करता है कि हम किसी को नरसंहार का मौका न दें. मेरी भी अपील है कि जवाबी हमले के लिए हमें जिंदा रहना चाहिए.’

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