370, नेहरू, PoK... शाह ने यूं कांग्रेस को घेरा, J&K बिल पास

जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने संबंधी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद लोकसभा की भी मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव भी पास होगया। बिल पर घंटों चली चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को भरोसा दिया कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने पर उसे फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। बिल के तहत जम्मू-कश्मीर से अलग हो लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बनेगा, लेकिन वहां विधानसभा नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर भी अब केंद्रशासित प्रदेश होगा लेकिन उसके पास विधानसभा भी होगी। बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हर सवाल और संदेह का विस्तार से जवाब दिया। 
गृह मंत्री अमित शाह ने आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को हुए नुकसान को बताया और इसे आतंकवाद की जड़ करार दिया। उन्होंने आर्टिकल 370 को विकास विरोधी, महिला, दलित और आदिवासी विरोधी बताया और जम्मू-कश्मीर को दिए विशेष राज्य के दर्जे को खत्म किए जाने को एक ऐतिहासिक भूल को सही करने वाला ऐतिहासिक कदम बताया। इसके साथ ही गृह मंत्री ने सदन को भरोसा दिया कि जम्मू-कश्मीर में हालात जैसे ही सामान्य होंगे, उसे फिर राज्य का दर्जा देने पर सरकार विचार कर सकती है। शाह ने बिल पास कराए जाने की प्रकिया पर उठे सवाल का भी जवाब दिया और तर्कों के साथ बताया कि बिल संविधानसम्मत प्रक्रिया के तहत ही लाया गया है। वैसे, सरकार ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को वापस ले लिया। इस बिल को वापस लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मैं जम्मू और कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को वापस लेने की अनुमति चाहता हूं। जब धारा 370 हट जाएगी तो इस बिल के प्रावधान अपने आप वहां लागू हो जाएंगे।' 
गृह मंत्री अमित शाह ने 'भारत माता की जय', 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है' के नारों बीच जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा का जवाब देना शुरू किया। उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया। आइए देखते हैं गृह मंत्री अमित शाह के भाषण। 

लोकसभा में शाह का भाषण 

'70 सालों की टीस खत्म हुई'
 
''70 सालों की टीस खत्म होने का आनंद व्यक्त नहीं किया जा सकता। हम कभी क्यों नहीं बोलते कि यूपी, पंजाब या तमिलनाडु भारत का अभिन्न अंग है, यह इसलिए था कि 370 ने जनमानस में एक संशय था। आज यह कलंक मिट गया। कहा जाता है कि आर्टिकल 370 भारत को कश्मीर से जोड़ता है। धारा 370 भारत को कश्मीर से नहीं जोड़ती है बल्कि जोड़ने से रोकती है और आज यह रुकावट हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। 
'हालात सामान्य होते ही दे सकते हैं पूर्ण राज्य का दर्जा' 
वोट बैंक के लिए 370 को हटाने का विरोध हो रहा है। आज 370 हट जाएगा और इतिहास में यह दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। विपक्ष के कई सदस्यों ने कहा है कि यह यूटी हमेशा के लिए रहेगा क्या, क्यों बनाया? मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जहां तक यूटी का सवाल है तो परिस्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। 

'पीओके पर हमारा दावा पहले की तरह ही मजबूत' 
कहां जा रहा है कि पीओके को दे दिया, नरेंद्र मोदी की सरकार पीओके को कभी दे ही नहीं सकती। पीओके पर हमारा दावा उतना ही मजबूत है, जितना पहले था।....बिल में पीओके और अक्साई चीन दोनों का जिक्र है। 20 जनवरी 1948 को संयुक्त राष्ट्र ने UNCIP का गठन किया और 13 अगस्त 1948 को UNCIP के प्रस्ताव को भारत, पाकिस्तान दोनों ने स्वीकार कर लिया। 1965 में पाकिस्तानी सेना ने हमारी सीमा का अतिक्रमण किया था और उसी वक्त UNCIP का प्रभाव खत्म हो गया था।  शिमला समझौते के वक्त भी इंदिरा गांधी ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र कोई दखल नहीं दे सकता। 
'जब सेना जीत रही थी तब नेहरू ने एकतरफा संघर्षविराम क्यों किया?' 
मनीष तिवारी ने इतिहास का जिक्र किया लेकिन एक सीमा पर आकर वह रुक गए। मैं पूछना चाहता हूं कि जब 1948 में हमारी सेना विजयी हो रही थी, सेना पाकिस्तानी कबीलों के कब्जा किए गए हिस्से को जीत रही थी तो एकतरफा संघर्षविराम किसने किया? नेहरूजी ने किया था और उसी वजह से आज पीओके है। सेना को नहीं रोका होता तो पीओके आज भी हमारे साथ होता। 

'इतिहास नरेंद्र मोदी को सालों याद रखेगा' 
अधीर रंजनजी ने संयुक्त राष्ट्र का जिक्र किया। लेकिन यूएन में लेकर कौन गया। रेडियो पर संघर्षविराम का एकतरफा ऐलान किया गया। मामले को यूएन में नेहरूजी ही ले गए। आज की घटना का जब भी जिक्र होगा तो इतिहास नरेंद्र मोदी को सालों-सालों तक याद करेगा। 

'अलगाववाद के पीछे था आर्टिकल 370' 
370 जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध था। उसे हटाना इसलिए जरूरी था कि यह संसद के अधिकार को कम करता है। पाकिस्तान अलगाववाद की भावना भड़का रहा है तो 370 की वजह से। वहां के लोगों में अलगाववाद होता है। वहां की विधानसभा की मंजूरी के बिना देश का कोई कानून वहां लागू नहीं होता। 
'370 हटाना जरूरी था, 371 को नहीं छेड़ेंगे' 
370 के अलावा 371 और दूसरे आर्टिकल भी विशेष और अस्थायी उपबंध करते हैं लेकिन उनमें कुछ गलत नहीं है तो उन्हें क्यों बदलें। 370 और 371 की तुलना नहीं हो सकती। इसलिए नॉर्थ-ईस्ट या अन्य राज्यों को आश्वस्त करता हूं कि सरकार की कोई मंशा 371 को हटाने की नहीं है।इसी रास्ते पर 2 बार 370 पर संशोधन हो चुका है, तब यह रास्ता ठीक था और आज क्यों खराब है? वजह वोट बैंक राजनीति है। 

'चर्चा करते-करते थक गए, 3 पीढ़ियां बदल गईं' 
इंटरनेट बंद होने पर- 1989 से 1995 तक अक्सर कर्फ्यू लगा रहता था, फोन तो छोड़िए खाने के लिए भी कुछ नहीं मिलता था। 70 साल तक इस मुद्दे पर चर्चा करते-करते थक गए, 3 पीढ़ियां आ गईं। किससे चर्चा करें? जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं, उनसे चर्चा करें? हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करेंगे। हम कश्मीरियों से चर्चा करेंगे, वे हमारे हैं, हम चर्चा से नहीं भांगेंगे। घाटी की जनता से जितनी ज्यादा हो सकेगी हम चर्चा करेंगे और उन्हें अपने कामों से आश्वस्त करा देंगे कि वे हमारे लिए खास हैं। हम प्यार से बात कर उनके विकास के लिए सब करेंगे, वे 100 कहेंगे तो हम 110 देंगे। पिछली सरकार में हमने वहां के लिए सवा लाख करोड़ दिया था, जिसमें 80 हजार करोड़ खर्च भी हो चुके हैं। 
'कश्मीर में आतंकवाद की वजह बेरोजगारी नहीं' 
बेकारी के कारण आतंकवाद बढ़ा? मैं इससे सहमत नहीं हूं। बेरोजगारी कई जगहों पर हैं लेकिन वहां आतंकवाद क्यों नहीं उभरा। कश्मीर में यह पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है, बेरोजगारी की वजह से नहीं। 

प्रक्रिया पर उठे सवाल का यूं दिया जवाब 
आपने आंध्र का विभाजन किया और विधानसभा की मंजूरी तक नहीं ली। सीएम ने इस्तीफा दे दिया, विधानसभा ने प्रस्ताव खारिज कर दिया, तब भी विभाजन कर दिया। इसलिए प्रक्रिया का सवाल मत उठाइए। जब आपने ऐसे किया तो हमें क्यों टोक रहे हैं। तब आंध्र के सांसदों को मार्शल बुलाकर बाहर कर दिया गया। 

एक-एक कर विपक्ष के सवालों का दिया जवाब 
कहते हैं कि यूटी क्यों बनाया? 1975 में कांग्रेस ने इमर्जेंसी लगाकर पूरे देश को यूनियन टेरिटरी बना दिया था। जम्मू-कश्मीर में तो परिस्थिति सामान्य होते ही हम उचित समय पर उचित कदम (पूर्ण राज्य का दर्जा) उठाएंगे। जम्मू-कश्मीर यूटी है लेकिन वहां विधानसभा भी होगी, मंत्रिमंडल भी होगा। रेफरेंडम का मुद्दा उठा रहे हैं तो 1975 के वक्त ही यह खत्म हो चुका था। कर्फ्यू पर सवाल उठा रहे हैं तो वहां कर्फ्यू इसलिए लगा है कि परिस्थिति न बिगड़े। आरोप लग रहा है कि यह सांप्रदायिक अजेंडा है। आखिर 370 कैसे सांप्रदायिक अजेंडा है? क्या वहां सिर्फ मुसलमान ही हैं? वहां सिख भी हैं, जैन भी हैं। वहां अल्पसंख्यक आयोग नहीं है, सिर्फ 370 की वजह से। थरूरजी ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। 1989 से लेकर अबतक 41,900 लोग मारे गए तो क्या हम दूसरा रास्ता भी नहीं सोचे। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या अब तक जिस रास्ते पर चले, वह जिम्मेदार नहीं है। 

'ऐतिहासिक भूल को सुधारने जा रहे हैं' 
औवैसी साहब ने कहा कि सदन ऐतिहासिक भूल करने जा रहा है, ओवैसी साहब, हम ऐतिहासिक भूल नहीं बल्कि ऐतिहासिक भूल को सुधार करने जा रहे हैं। 

'मैं लौहपुरुष की छवि के लिए नहीं कर रहा कुछ' 
मैं बीजेपी का एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं, मुझे लौहपुरुष की छवि बनाने के लिए कुछ नहीं करना है। ऐसे फैसले देशहित को देखकर लिए जाते हैं, घाटी की जनता की भलाई किसमें है, यह देखकर किए जाते हैं। 

शाह ने बताया, क्यों जरूरी थी 370 हटाना 
370 चालू रखनी है तो क्यों रखनी है, यह तो बताते। विरोध करने वालों में से किसी ने भी इस पर बात नहीं की। 370 जम्मू-कश्मीर के विकास, लोकतंत्र के लिए बाधक है। गरीबी को बढ़ाने वाली है, आरोग्य, शिक्षा से दूर करने वाली है। यह महिला, आदिवासी, दलित विरोधी है। यह आतंकवाद का खाद और पानी दोनों है। 
आर्टिकल 370 इस देश का कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू होने से रोकता है। जम्मू-कश्मीर के सियासतदानों और 3 परिवारों ने अपने लिए इसका विरोध किया। बाल विवाह विरोधी कानून तक वहां नहीं लागू हो पाया। 370 को जो रखना चाहते हैं वे जवाब दें कि आप बाल विवाह का समर्थन कर रहे हैं। 

अल्पसंख्यक आयोग वहां नहीं पहुंच पाया। शिक्षा का अधिकार कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं पाया। नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन को नहीं स्वीकार किया गया। जमीन अधिग्रहण, दिव्यांगों के लिए, बुजुर्गों के लिए बना कानून भी स्वीकार नहीं किया गया। डिलिमिटेशन देश भर में हुआ लेकिन जम्मू-कश्मीर में नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि वोट बैंक की राजनीति थी। अब ऐसा नहीं होगा। 

विसल ब्लोअर प्रटेक्शन ऐक्ट भी वहां नहीं लागू हुआ। इसलिए क्योंकि वहां के 3 परिवार नहीं चाहते कि उनके भ्रष्टाचार पर रोक लगे। जम्मू-कश्मीर बैंक में जैसे ही ऐडमिनिस्ट्रेटर आया, उनके चेहरे पर पसीना आ गया। सफाई कर्मचारी आयोग देश में सब जगह है लेकिन वहां नहीं है। बाल्मिकी समुदाय के साथ यह अन्याय 370 की वजह से है। 

दलित और आदिवासियों को वहां आरक्षण नहीं है। 370 की वकालत करने वालों से मैं पूछता हूं कि आप किसके हक में खड़े हैं, क्या आप दलित और आदिवासियों के आरक्षण के खिलाफ हैं? 
'370 की आड़ में भ्रष्टाचार बढ़ा, लोकतंत्र का गला घोंटा' 
370 की वजह से राज्य के विकास को रोका गया है, जनता की भलाई को रोका गया है और लोकतंत्र का गला घोंटा गया है। सिर्फ 3 परिवारों ने यह किया। पंचायती राज व्यवस्था को नहीं लागू होने दिया। आज जम्मू-कश्मीर में 40 हजार पंच-सरपंच अपने गांवों के विकास का खाका खुद खींच रहे हैं। उन्हें 35000 करोड़ रुपये विकास के लिए दिए गए हैं। 

370 और 35ए की वजह से भ्रष्टाचार बढ़ा और विकास रुका। 2004 से 2019 तक 2,77,000 करोड़ रुपये भारत सरकार ने राज्य को दिया लेकिन यह कहां गया? वहां गरीबी बनी हुई है। भ्रष्टाचार किया गया। प्रति व्यक्ति 14855 रुपये भेजा फिर भी विकास नहीं हुआ। 370 की वजह से महिलाओं के साथ अन्याय हुआ। अब ऐसा नहीं चलेगा। जम्मू-कश्मीर की बेटी कहीं भी शादी करे, उसे उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकेगा। 
'370 की वजह से ही पनपा आतंकवाद' 
कहा जा रहा है कि आतंकवाद का मूल गरीबी में है। गरीब कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। वहां 370 की आड़ में बहुत जहर खोला गया। सिर्फ 3 परिवारों का भला हुआ, किसी का भला नहीं हुआ। 1988 में जनरल जिया उल हक ने ऑपरेशन टोपाज की शुरुआत की। 3 युद्ध हारने के बाद पाकिस्तान ने सीधा युद्ध न करके छद्म युद्ध शुरू करने की शुरुआत की। पाकिस्तान प्रेरित आतंकी संगठन तो चाहते हैं कि सारे देश में आतंकवाद पनपे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि वहां 370 की वजह से आतंकवाद बढ़ा। 

370 से घाटी के युवाओं का भला नहीं हुआ है। आप हिसाब-किताब तो कीजिए कि 370 से आपको क्या मिला? रोटी मिली, स्कूल मिली, शिक्षा मिली या आरोग्य मिला? क्यों पकड़े हुए हैं झुनझुना? इतिहास कैसे लिखा जाएगा मुझे इसकी चिंता नहीं है, लेकिन इतना मालूम है कि 370 का इतिहास लिखा गया है कि इसके कारण आतंकवाद फैला है। इसके जाने से घाटी के लोगों को हम नजदीक ला सकेंगे, आशा भर सकेंगे। 

'अब जम्मू-कश्मीर में भी बढ़ेंगे जमीनों के दाम' 
देशभर में जमीनों के दाम बढ़े लेकिन जम्मू-कश्मीर में नहीं क्योंकि खरीदने वाला भी गरीब, बेचने वाला भी गरीब तो कैसे बढ़ेंगा। 370 खत्म होने से वहां की जमीनों के दाम बढ़ जाएंगे। 

370 पर सदन में इससे पहले भी कई बार चर्चा हुई। अटलजी समेत कई दिग्गजों ने चर्चा की। अटलजी हमेशा 370 के खिलाफ रहे, इसके लिए साढ़े 4 महीने जेल भी रहे। लोहियाजी ने इसी सदन में 370 को खत्म करने की मांग की थी। मधु लिमये भी 370 के खिलाफ थे। क्या लिमये साहब सेक्युलर नहीं थे। 
पश्चिमी पाकिस्तान से आए 2 शरणार्थी मनमोहन सिंह और इंद्र कुमार गुजराल देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए होते अगर वे कश्मीर गए होते। आज वहां पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता नहीं मिली। मानवाधिकार की बात करते हैं, क्या कश्मीरी पंडितों का मानवाधिकार नहीं था? 370 महिलाविरोधी है, दलित विरोधी है, आदिवासी विरोधी है, विकास विरोधी है।'' 

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