सीएम योगी ने उत्कृष्ट योगदान के लिए 10 साहित्यकारों का किया सम्मान, बोले- जैसा साहित्य वैसा समाज

22 साल बाद हिंदुस्तानी एकेडमी ने हिंदी और लोक भाषाओं से जुड़े साहित्य व साहित्याकारों को सम्मानित करने की प्रक्रिया रविवार को फिर से शुरू की। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एकेडमी की पूरी टीम को बधाई दी। सीएम ने कहा, साहित्य समाज का आइना होता है, जैसा साहित्य होगा समाज उसी के अनुरूप प्रेरणा और प्रकाश प्राप्त करता है। क्षेत्रीय और लोकभाषाएं हिन्दी भाषा की ताकत हैं। इसलिए क्षेत्रीय और लोकभाषाएं को भी विकसित करने का सतत प्रयास होना चाहिए।

सीएम योगी ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध करने की लोक परम्परा का आधार हिंदुस्तान एकेडेमी बना है। आज यहां लोक भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी से जुड़े हुए उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने का प्रयास अभिनन्दनीय है। सीएम योगी रविवार को अपने सरकारी आवास पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मध्यकाल में घोर गुलामी के कालखण्ड में गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस के माध्यम से लोगों के मन में एक नया भाव जाग्रत कर रहे थे। मध्यकालीन सन्तो ने साहित्य के इस मर्म को समझा और स्थानीय भाषा में उसे नई उचांईयां देकर आमजन को प्रेरित किया। 
इनको मिला सम्मान
सीएम योगी ने 10 साहित्यकारों को पुरस्कृत किया। उन्होंने पांच लाख रुपए की धनराशि का गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह को प्रदान किया। इसी के साथ गोस्वामी तुलसीदास सम्मान डॉक्टर सभापति मिश्र, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान डॉक्टर रामबोध पांडेय, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान डॉक्टर योगेन्द्र प्रताप सिंह, महादेवी वर्मा सम्मान डॉक्टर सरोज सिंह, फिराक गोरखपुरी सम्मान शैलेन्द्र मधुर, भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान ब्रज मोहन प्रसाद अनाड़ी, बनादास अवधी सम्मान डॉक्टर आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, कुम्भन दास ब्रज भाषा सम्मान डॉक्टर ओंकार नाथ द्विवेदी और हिन्दुस्तानी एकेडेमी युवा लेखन सम्मान विश्व भूषण को प्रदान किया गया। मिश्रा लखनऊ में एडीएम टीजी के पद और कार्यरत हैं। 

छह पुस्तकों का किया विमोचन
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हिन्दुस्तानी एकेडेमी की छह पुस्तकों- नाथपंथः विविध आयाम, हमारी संस्कृति और हम, समकालीन भोजपुरी साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन, रामविलास शर्मा का प्रेम-परिसर, भोजपुरी लोककथा मंजूषा और हिन्दुस्तानी एकेडेमी का इतिहास का विमोचन भी किया। एकेडमी अध्यक्ष डॉक्टर उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तानी एकेडेमी के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि साहित्य मनुष्य की चेतना को दर्शाता है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, सूचना एवं संस्कृति निदेशक शिशिर, यूपी संस्कृत संस्थानम के अध्यक्ष डॉक्टर वाचस्पति मिश्र सहित व अन्य नागरिक उपस्थित थे।

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