बतायें आठ वर्षों में बंगाल में हुआ कितना निवेश, जारी करें श्वेत पत्र - कैलाश विजयवर्गीय

भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य में निवेश के दावे को खारिज करते हुए सवाल किया कि मुख्यमंत्री बतायें कि पिछले आठ वर्षों में राज्य में कितना निवेश हुआ है.
 
 राज्य सरकार निवेश पर श्वेत पत्र जारी कर निवेश का ब्यौरा जारी करे. उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुश्री बनर्जी ने दावा किया कि आइटी कंपनी विप्रो ने राजारहाट में एक और कैंपस खोलने का निर्णय किया है. 
 
श्री विजयवर्गीय ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा : ममताजी की सरकार ने राज्य में निवेश लाने के लिए कई बंगाल ग्लोबल सम्मिट किये हैं. इनमें करोड़ों रुपये खर्च किये हैं, लेकिन इनसे राज्य में कितने निवेश हुए हैं. कितने लोगों को रोजगार मिला है ? किन-किन कंपनियों ने राज्य में निवेश क्या है या निवेश के लिए रुचि दिखायी है, जबकि सुश्री बनर्जी ने विदेशों के दौरे पर भी गयी थीं. 
 
विदेशों से राज्य में कितने निवेश हुए हैं. इस बारे में सरकार श्वेत पत्र जारी करे और जनता के सामने पेश करें. उन्होंने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत ही खराब है. ऐसी स्थिति में राज्य में निवेश कौन करेगा?
 
‘दीदी के बोलो’ आइ वाश, लोगों को बहलाने की कोशिश
श्री विजयवर्गीय ने कहा : ‘दीदी को बोलो’ आइ वाश है और लोगों को बहलाने की कोशिश है. अभी तक तो केवल दीदी और उनके नेता ही केवल बोलते रहे थे, लेकिन अब पहली बार जनता को बोलने का मौका मिला है. अभी तक दीदी बोलते रहती थी और लोग सुनते रहते थे. अब लोग दीदी से कट मनी वापस करने की मांग करेंगे. लोग कट मनी को भूले नहीं हैं. 
 
लोग ममतादी की सरकार की तुष्टीकरण की नीति और अत्याचार को भूले नहीं हैं, अब ममताजी खुद को प्रोग्रेसिव दिखाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के अत्याचार से राज्य के लोग क्षुब्ध हैं और कहने लगे हैं कि इससे अच्छा तो माकपा का राज था. लोकसभा चुनाव में राज्य की जनता ने अपना विश्वास जता दिया है. राज्य की जनता ने मन बना लिया है. अब ‘दीदी के बोलो’ से कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह केवल लोगों को बहलाने की कोशिश है. 
 
प्रशांत किशोर ने राहुल व अखिलेश को डुबाया, अब ममता को डुबायेंगे
श्री विजयवर्गीय ने कहा : लोकसभा चुनाव के बाद ममताजी भयभीत हैं. डरी हुई हैं. उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से टूट गया है. अब उन्होंने प्रशांत किशोर का दामन थामा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और अखिलेश सिंह यादव में गंठबंधन करवाया था. 
खटिया पर बैठवाया था, लेकिन उनकी दाल नहीं गली. जनता ने उन्हें खारिज कर दिया था. अब पश्चिम बंगाल की जनता भी उन्हें खारिज करेगी. बंगाल में अब किसी भी प्रशांत किशोर की कोई नीति और रणनीति काम नहीं आयेगी.

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