येदियुरप्पा कैबिनेट की राह में बाधा बना 'बेंगलुरु'

कर्नाटक की सत्ता संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल बेंगलुरु से सामने आ सकती है। दरअसल, शहर से बड़ी संख्या में मंत्री पद के लिए उम्मीदवारों के नाम दिए गए हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद बीजेपी विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा की ओर से अपनी कैबिनेट में 10 से कम विधायकों को शामिल करने की संभावना है। उधर, नियम के मुताबिक उन्हें मंत्रिपरिषद में उन्हें अधिकतम 34 सदस्य रखने की अनुमति है। 
हालांकि, इनमें अकेले बेंगलुरु से 15 से अधिक दावेदार हैं, जिनमें से कई वरिष्ठ हैं। इन्हें अनदेखा करना सरकार को मुश्किल में डाल सकता है। चुनावी मुद्दों का अध्ययन करने वाले एक सिविल सोसायटी ग्रुप दक्ष के सह-संस्थापक हरीश नरसप्पा कहते हैं, 'जिन लोगों ने एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिराने में कड़ी मेहनत की है, उन्हें निराश करने से दिक्कत पैदा हो सकती है।' उन्होंने यह भी कहा, 'येदियुरप्पा हर किसी को खुश करने की कोशिश करेंगे और बेंगलुरु से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।' 
'...इसलिए बेग ने की थी बगावत' 
15 बागी विधायकों में से 5, जिन्होंने गठबंधन सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वे भी बेंगलुरु से ही ताल्लुक रखते हैं। इनमें एसटी सोमशेखर (यशवंतपुर), बी बसवराजु (केआर पुरम), एन मुनिरत्ना (आरआर नगर), आर रोशन बेग (शिवाजीनगर) और के गोपालैय्याह (महालक्ष्मी लेआउट) से आते हैं। वे स्वाभाविक रूप से अपने लिए बेहतर की उम्मीद कर रहे हैं, जो कि कैबिनेट से कम तो नहीं है। बेग पूर्व में मंत्री रह चुके हैं और उनकी बगावत का मुख्य कारण यह था कि उन्हें कुमारस्वामी की कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनाया गया था। उधर, सोमशेखर कहते हैं, 'सरकार गिरने से हम खुश हैं। इसके बाद अब स्वाभाविक रूप से प्रगति ही होगी।' 

बीजेपी के इन नेताओं का क्या मिलेगी कमान? 
बेंगलुरु से चार वरिष्ठ बीजेपी नेता, जिसमें वोक्कालिगा से आर अशोक, जो कि पूर्व की बीजेपी सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और उनके पास गृह और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी थे। वी सोमन्ना, जो कि पुराने मैसूर क्षेत्र में पार्टी का लिंगायत चेहरा माने जाते हैं, अरविंद लिंबावली एक दलित और एस सुरेश कुमार- ब्राह्मण नेता के रूप में पार्टी में हैं। इन्हें भी मंत्री पद की उम्मीद है। सोमन्ना कहते हैं, 'अपने वैश्विक ब्रैंड को देखते हुए बेंगलुरु को एक ऐसे शख्स की जरूरत है जो कि शहर को अच्छी तरह से जानता हो और शहर के प्रशासन का अच्छा खासा अनुभव रहा हो। लोग मेरे कार्यकाल को अबतक याद करते हैं जब मैं बेंगलुरु सिटी डिवेलपमेंट मिनिस्टर था।' 
 

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