वेटिंग में टिकट, कंफर्म न होने से स्थिति विकट, नेता लगा रहे तरह-तरह के जुगाड़

लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीट जीतने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक सितारे बुलंदी पर हैं। हरियाण में कभी दूसरे के सहारे चुनावी राजन‍ीति करने वाली भाजपा आज राज्‍य की सबसे ताकतवर पार्टी है। ऐसे में विपक्षी दलों के नेताओं में भाजपा में शामिल होने की होड़ मची है। लेकिन, नेताओं में विधानसभा चुनाव में टिकट कंफर्म न‍हीं होने के कारण बेचैनी है और वे इसके लिए सभी संभव जुगाड़ में लगे हैं। 
मुख्य विपक्षी दल इनेलो और इससे टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तक भाजपा में शामिल हो रहे हैं। एक तरह से भाजपा में शामिल होने के लिए अन्य दलों में भी भगदड़ मची हुई है। सभी नेता भाजपा में ही अपना बेहतर भविष्य मान रहे हैं। इनेलो, जजपा नेताओं के भाजपा में शामिल होने के क्रम में ही मनोहर सरकार के गठन के बाद से ही बिना शर्त समर्थन दे रहे चार निर्दलीय विधायकों में से दो ने तो पार्टी की सदस्यता ले ली है। मगर अभी दो निर्दलीय और एक इनेलो व एक बसपा विधायक पार्टी नेताओं की सहमति का इंतजार कर रहे हैं। असल में ये चारों विधायक तभी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, जब पार्टी आलाकमान उनका टिकट कंफर्म कर दे।
बेशक लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी सीट भाजपा के खाते में डालने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल पार्टी में काफी मजबूत हैं मगर वे भी इस स्थिति में नहीं हैं कि किसी की टिकट कंफर्म कर दें। इसके अलावा पार्टी से कोई और भी एक या दो नेता मिलकर भी इन चारों विधायकों के टिकट की गारंटी नहीं ले पा रहे हैं। इस कारण समालखा से निर्दलीय विधायक रविंद्र कुमार, सफीदों के जसबीर देशवाल सहित इनेलो के नगेंद्र भड़ाना और बसपा के टेकचंद शर्मा का भाजपा में शामिल होना लगातार टल रहा है।
पृथला से बसपा के विधायक टेकचंद शर्मा और एनआइटी से इनेलो विधायक नगेंद्र भड़ाना मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष अपनी व्यथा भी कह चुके हैं, मगर मुख्यमंत्री से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। सूत्र बताते हैं कि सीएम ने उन्हें बिना शर्त पार्टी में शामिल होने की सलाह दी है।
सीएम ने इन विधायकों को कहा है कि वे पार्टी व सरकार के सभी कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा लें और यही कार्य उनके बेहतर भविष्य का आधार बनेंगे। मनोहर लाल ने लोकसभा चुनाव से पहले इन विधायकों का अपनी पार्टी में भविष्य बेहतर बताया था। तभी इन विधायकों ने लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों की खुले रूप में मदद की थी।

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