बगैर टीम बीत गए कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम के दो साल

 तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह बगैर नई प्रदेश कार्यकारिणी के केवल अध्यक्ष ही बने रह जाएंगे, पार्टी के भीतर जो हालात हैं उनसे यही जान पड़ रहा है। दो साल से ज्यादा गुजरने पर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपनी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं।
पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए किए जाने की परंपरा रही है। ऐसे में शेष बचे एक साल से भी कम वक्त रहते नई कमेटी का गठन होगा या नहीं, इसे लेकर भी संशय बरकरार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि इस मामले में फैसला पार्टी हाईकमान को ही लेना है। उनका फोकस पार्टी को प्रदेश में मजबूती देने पर है। इसके लिए प्रदेश में राज्य और केंद्र की सरकारों की नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। 
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व को बदल दिया था। उक्त वर्ष में मई माह में प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रीतम सिंह को सौंपी गई। इसके बाद से ही प्रदेश में टीम प्रीतम के अस्तित्व में आने को लेकर कयास लगते रहे हैं। हालांकि शुरुआती दौर में पार्टी के भीतर सभी धड़ों को एकजुट करने पर जोर देते हुए प्रीतम सिंह ने नई कमेटी के गठन को लेकर जल्दबाजी से गुरेज किया।
नई प्रदेश कमेटी से पहले जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति और फिर उनकी इकाइयों के गठन में अच्छा-खासा वक्त गुजर गया। फिर पार्टी में सभी दिग्गजों को साधने और उनके चहेतों को एडजस्ट करने के लिए नई प्रदेश कार्यकारिणी को जंबो बनाने की कवायद केंद्रीय नेताओं के स्तर पर भी हुई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश की नई कमेटी पर फैसला पार्टी हाईकमान को लेना है। 

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