एक विधायक से दामन छुड़ाकर अपनी साख बचाने में कामयाब रही भाजपा

जैसा कि तय समझा जा रहा था, भाजपा ने खानपुर (हरिद्वार) के विवादित विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा ही दिया। इससे भाजपा ने अपना एक विधायक जरूर गंवा दिया, लेकिन लंबे अरसे से पार्टी के लिए किरकिरी का सबब बने चैंपियन का निष्कासन कर पार्टी ने अपनी साख जरूर बचा ली। 
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद यह पहला मौका है, जब भाजपा ने अपने किसी विधायक के खिलाफ इस तरह का सख्त कदम उठाया। अलबत्ता, चैंपियन की विधानसभा सदस्यता पर उनके भाजपा से निष्कासन का कोई असर नहीं पड़ेगा और वह विधायक बने रहेंगे।

उत्तराखंड के अलग राज्य के रूप में वजूद में आने के बाद कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन चारों निर्वाचित विधानसभा में सदस्य रहे हैं। वर्ष 2002 में वह हरिद्वार जिले की लक्सर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीते और तब नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार को उन्होंने समर्थन दिया।
इसके बाद वर्ष 2007 और 2012 के चुनाव उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़कर जीते। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद लक्सर सीट का वजूद समाप्त हो जाने पर उन्होंने वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव खानपुर सीट से लड़ा और जीत हासिल की। मार्च 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस विधायकों में चैंपियन भी शामिल थे।
विधायक के रूप में चैंपियन कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों में रह चुके हैं। कांग्रेस में रहते हुए नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत, सभी के मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होंने अलग-अलग कारणों से चर्चा बटोरी। यह बात दीगर है कि कांग्रेस उनके खिलाफ कभी सख्त कदम उठाने का साहस नहीं जुटा पाई। 
इसका एक बड़ा कारण यह रहा कि कांग्रेस जब भी सूबे में सत्ता में रही, उसे मामूली बहुमत ही हासिल था या फिर बाहर से समर्थन लेकर कांग्रेस ने सरकार चलाई। इस कारण तब कांग्रेस एक भी विधायक को खोने की स्थिति में नहीं थी। भाजपा में आने के बाद भी कई विवाद चैंपियन के साथ जुड़े। 
कुछ समय पहले भाजपा ने उन्हें तीन महीने के लिए पार्टी से निलंबित भी किया था। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज की। यही वजह रही कि ताजा विवाद में मर्यादा की सीमा लांघने पर पार्टी ने चैंपियन से दामन छुड़ाना ही बेहतर समझा। 
वैसे भी भाजपा की छवि एक अनुशासित पार्टी की है और इस तरह की घटनाओं से उस पर असर पड़ रहा था। चैंपियन के निष्कासन के बाद अब भाजपा के पास 55 विधायक रह गए हैं। यह इसलिए, क्योंकि पिछले महीने कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के कारण एक सीट रिक्त हो गई थी। चैंपियन के निष्कासन को पार्टी नेतृत्व का आभार 
भाजपा राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख एवं उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी का कहना है कि उत्तराखंड के भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का पिछले दिनों एक विवादित वीडियो वायरल हुआ था। पार्टी ने इसे गंभीरता से लेते हुए चैंपियन को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मैं इसके लिए अपने राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार प्रकट करता हूं। 
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य लंबे आंदोलन, शहादत और संघर्ष से मिला है। हमारी माताओं, बहनों, नौजवानों और बुजुर्गो ने सड़कों पर उतर कर यह राज्य प्राप्त किया। अपनी पहचान और अस्मिता के लिए यहां की महान जनता ने बहुत कुछ सहा, जिसका शायद आंदोलनों के इतिहास में उदाहरण भी न मिले।  दो बसपा के दो विधायक भी हुए थे निष्कासित 
उत्तराखंड की अब तक की चार निर्वाचित विधानसभाओं में पहले भी दो विधायकों को पार्टी से निष्कासन झेलना पड़ा है। दूसरी निर्वाचित विधानसभा में बसपा ने अपने दो विधायकों काजी निजामुद्दीन और चौधरी यशवीर सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया था। हालांकि इनका निष्कासन बसपा ने विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले ही किया। दरअसल, विधायक के पार्टी से निष्कासन के बाद उन पर पार्टी व्हिप लागू नहीं होती लेकिन निलंबन की स्थिति में विधायक व्हिप के दायरे में आते हैं। 
यह था चैंपियन का मामला 
विधायक चैंपियन का नौ जुलाई को सोशल मीडिया में एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इसमें वह शराब पीते और हथियार लहराते हुए थिरकते दिखाई दिए। साथ ही राज्य के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी भी कर रहे हैं। इससे असहज हुए पार्टी नेतृत्व ने अनुशासनहीनता के आरोप में चैंपियन को निष्कासन का नोटिस भेज 10 दिन में जवाब देने को कहा। उनके खिलाफ स्थायी निलंबन के साथ ही निष्कासन की संस्तुति भी केंद्रीय नेतृत्व से कर दी गई। इससे पहले दिल्ली के एक पत्रकार के साथ बदसलूकी समेत अन्य प्रकरणों का संज्ञान लेते हुए भाजपा ने 22 जून को अनुशासनहीनता के आरोप में चैंपियन की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तीन माह के लिए निलंबित कर दी थी। 
अब विधायक चैंपियन को पार्टी की केंद्रीय अनुशासन समिति ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। इससे पहले चैंपियन को बीती 10 जुलाई को निष्कासन का नोटिस भेजा गया था, इसका जवाब मिलने के बाद पार्टी नेतृत्व ने यह कदम उठाया है। हालांकि, पार्टी की प्राथमिक सदस्यता जाने के बावजूद चैंपियन विधायक बने रहेंगे। सदन में वह असंबद्ध विधायक होंगे।
कांग्रेस के 10 विधायकों की सदस्यता हुई थी समाप्त 
राज्य की तीसरी विधानसभा में कांग्रेस के कुल 10 विधायकों की सदस्यता समाप्त हुई। मार्च 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ नौ कांग्रेस विधायकों ने विद्रोह कर पार्टी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। मई में एक और विधायक ने कांग्रेस छोड़ी। इन सबकी सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष ने समाप्त कर दी थी।

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