फारूक खान ने पांचवें सलाहकार के रूप में संभाला काम, सुरक्षा मामलों की जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के पांचवें सलाहकार के रूप में पूर्व आईजी फारूक खान ने मंगलवार को कार्यभार संभाल लिया। उम्मीद है कि आतंकवाद के मोर्चे पर उनके अनुभवों को देखते हुए सुरक्षा तथा रणनीतिक मामलों की उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की। दोनों ने राज्य में सुरक्षा परिदृश्य के साथ ही विकास कार्यों पर बात की। राज्यपाल ने उन्हें नए दायित्व के लिए बधाई दी।
कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि वे गौरवान्वित हैं कि प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने उन्हें यह दायित्व सौंपा। इसके लिए वे उनके शुक्रगुजार हैं। उन्हें विश्वास है कि वे अपनी क्षमताओं के अनुरूप बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री का विश्वास जीतने वाले फारूक राज्य में आतंकवाद से निपटने की रणनीति में बदलाव ला सकते हैं। 

सोमवार को दिल्ली से जम्मू पहुंचे फारूक का यहां की सिविल सोसाइटी की ओर से सम्मान किया गया था। लक्षद्वीप के प्रशासक पद से उन्होंने हाल ही में इस्तीफा दिया था। 1984 में राज्य पुलिस में भर्ती फारूक को 1994 में आईपीएस कैडर मिला था। पुंछ के मूल निवासी फारूक ने 2003 में रघुनाथ मंदिर में आतंकी हमले को नाकाम करने के अभियान का नेतृत्व किया था। आईजी पद से 2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2014 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी। 

उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय सचिव के साथ ही उत्तर-पूर्व का प्रभारी बनाया गया था। उनके दादा कर्नल (सेवानिवृत्त) पीर मोहम्मद खान महाराजा हरि सिंह की सेना में थे। वे जनसंघ की जम्मू-कश्मीर इकाई के पहले अध्यक्ष थे। 

राज्यपाल के पांच सलाहकारों के बीच विभागों का बंटवारा जल्द होगा। अब तक के विजय कुमार, के स्कंदन, केके शर्मा व खुर्शीद अहमद गनेई राज्यपाल के सलाहकार रहे थे। फारूक खान केे पांचवें सलाहकार बनने के बाद नए सिरे से विभागों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जम्मू संभाग निवासी फारूक को अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।  

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