हाथों में खाली बर्तन और सिर्फ एक सवाल- बोलो सरकार, क्या हम मर जाएं?

बिहार के उत्तरी हिस्सों के लगभग सभी जिलों में शहर से गांव तक बाढ़ का पानी कहर ढा रहा है. दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज, सुपौल, शिवहर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और सहरसा जिला जलमग्न हो चुका है.
आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 77 प्रखंडों की 546 पंचायतों के 25 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. वहीं 24 लोगों की अब तक मौत हो गई है.
पानी की धार तेज़ है लोग किसी तरह वहां से तो बच निकले हैं लेकिन उनके पास जीने के लिए कुछ नहीं बचा है. स्थिति यह है कि लोग सरकार से यही सवाल कर रहे हैं कि वो क्या करें, क्या वो मर जाएं.
एक पीड़ित कहते हैं कि पिछले तीन दिनों से हमलोग राहत-बचाव कार्यों का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई नहीं आया है. वोट का समय आता है तो नेता हवा में उड़ कर यहां पहुंच जाते हैं लेकिन इस मुश्किल घड़ी में हमारी सुध तक कोई लेने नहीं आया है. मेरा उनसे सवाल है कि हम क्या करें, मर जाएं?
सरकारी हुक्मरानों को हर रोज़ नए निर्देश दिए जा रहे हैं लेकिन बाढ़ का दंश झेल रहे लोगों को अब तक राहत और बचाव कार्यों का इंतज़ार है. हालत यह है कि सड़कों पर जब भी कोई गाड़ी या काफिला गुजरता है तो बांस और बल्लियों की तंग घरों से बच्चे हाथों में ख़ाली थाली लेकर निकलते हैं और पीछे दौड़ लगाने लग जाते हैं.
बिहार में बहार है का नारा आपने कई बार सुना होगा लेकिन सच तस्वीरें बयां कर रही हैं. जहां भूखी औरतें और नंगे बच्चे हाथों में ख़ाली थाली लिए एक पहर के खाने की तलाश में गलियों और चौराहों पर भटक रहे हैं.
सरकार हवाई सर्वेक्षण तो कर रही है लेकिन ज़मीन पर रह रहे वैसे लोग जो बाढ़ से तो बच गए लेकिन अब भूखमरी की चपेट में आते जा रहे हैं उनके लिए कुछ करती दिखाई नहीं दे रही है.
अधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 55 प्रखंड के 352 पंचायत के 18 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
मुख्यमंत्री ने सोमवार को अररिया जिले के फारबिसगंज, सिकटी, पलासी, जोकीहाट, किशनगंज जिले के ठाकुरगंज, कोचाधामन, टेढ़ागाछ और कटिहार जिले के बलरामपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का विस्तृत हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया. इसके बाद पूर्णिया के चूनापुर हवाईअड्डे पर पूर्णिया, अररिया, कटिहार एवं किशनगंज जिले के जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ एवं बचाव व राहत कार्य के बारे में विस्तृत समीक्षा की.
बिहार जल संसाधन विभाग के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि बागमती जहां ढेंग, सोनाखान, डूबाधार, कनसार, बेनीबाद में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, वहीं कमला बलान नदी जयनगर, झंझारपुर में तथा महानंदा ढेंगराघाट व झावा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.

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