आसान नहीं है प्रियंका गांधी वाड्रा का उत्तर प्रदेश मिशन-2022

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह करारी हार के बाद इस्तीफा देकर घर नहीं बैठ गई हैं। वह राहुल गांधी के सपनों के अनुरूप उत्तर प्रदेश (उ.प्र.) मिशन-2022 पर काम शुरू कर चुकी हैं। जुलाई महीने से प्रियंका गांधी अपने प्रयासों को जमीन पर उतारने की रूपरेखा तैयार करती हुई नजर आ सकती हैं। वह लगातार लोगों से मिल रही हैं, उ.प्र. में कांग्रेस की जमीनी जड़ को समझ रही हैं। चार विशेष टीमें भी उ.प्र. में अपना काम कर रही हैं। इतना ही नहीं प्रियंका के सचिवालय के प्रमुख अधिकारी धीरज श्रीवास्तव भी लगातार टीम के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। 
क्या है उ.प्र. में राहुल गांधी का सपना
राहुल गांधी 2022 में उ.प्र. में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार चाहते हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधे पर पूरा दारोमदार डाल रखा है। हलांकि लोकसभा चुनाव में उ.प्र. में कांग्रेस पार्टी की हुई है। पार्टी कांग्रेस अध्यक्ष की परंपरागत सीट अमेठी को भी नहीं बचा पाई, लेकिन इसके बाद भी प्रियंका गांधी ने जल्द ही खुद को हार की खीझ से बाहर निकालकर राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया है। उ.प्र. की जिला ईकाई, प्रदेश ईकाई समेत सभी कमेटियों को प्रियंका ने भंग कर दिया है। 
कांशीराम के ख्वाब पर माया का मोह हावी!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने सपने की झलक दिखाई थी। उन्होंने कहा था कि उ.प्र. में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य को एक बड़े और दूरगामी मिशन पर लगाया गया है। इस क्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी काफी सक्रिय हैं। प्रियंका गांधी हर रोज दर्जनों लोगों से मिल रही हैं। 23 मई को चुनाव का नतीजा आने के बाद से वह पूर्वी उ.प्र. के करीब 1000 लोगों से भेंट कर चुकी है। वाराणसी, अमेठी समेत कई जिलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी को अपने सुझाव भी दिए हैं। वह सबकी सुन रही हैं। पार्टी में बदलाव पर राय ले रही हैं और जल्द ही बड़े बदलाव की पहल दिखाई पड़ सकती है। 
आसान नहीं है प्रियंका गांधी का मिशन 2022
इंदिरा गांधी के जमाने से राजनीति में सक्रिय और राजीव गांधी समेत तमाम नेताओं के चुनाव प्रचार में कड़ी मेहनत करने वाले सुल्तानपुर के प्रदीप पाठक का कहना है कि प्रियंका गांधी की राह बहुत आसान नहीं है। प्रदीप के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने बहुत देर कर दी। साल-दर-साल अपने मतदाताओं को रूठने, दूसरे दलों में जाने दिया। अब पार्टी के बड़े नेता ऐसे लोगों से घिर गए हैं, जहां उन तक जमीनी लोगों की बात नहीं पहुंच पा रही है।

उदय सिंह छात्र जमाने से कांग्रेसी रहे हैं। उन्होंने इस बार भी कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया। उदय सिंह का कहना है कि पार्टी की जड़ों को खोजना होगा। उदय सिंह राहुल गांधी की खाट पंचायत में भी जी जान से जुटे थे। उनका कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष हर अभियान जोर-शोर से शुरू करते हैं, लेकिन उसे खाट पंचायत की तरह बीच में खत्म कर देते हैं। इससे सबसे ज्यादा निराशा धूल, धूप, चिलचिलाती गर्मी में झंडा लेकर कार्यकर्ता को होती है। वह चुपचाप खिसक जाता है। 

More videos

See All