क्या बिहार में RJD से अलग होगी कांग्रेस, अकेले चलेगी या करेगी नया तालमेल?
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश में कांग्रेसी खुद को फिर से दोराहे पर खड़ा महसूस कर रहे हैं। वे तय नहीं कर पा रहे कि आगे कैसी रणनीति अपनाई जाए।
क्या लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़ अपनी अलग राह बनाई जाए या पहले जैसी स्थिति कायम रखी जाए? किसी अन्य क्षेत्रीय दल से तालमेल के लिए पहल की जाए या 'एकला चलो' की नीति पर अमल किया जाए? ये सवाल प्रदेश नेतृत्व से लेकर हर वरिष्ठ नेता के मन में उठ रहे हैं।
2019 की लोकसभा चुनाव के बाद हार के कारणों की अबतक हुई दो बैठकों में कांग्रेसी नेता आरजेडी से नाता तोडऩे की वकालत कर चुके हैं। दो दिन पहले हुई कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में भी यह बात फिर से अधिकांश सदस्यों ने दोहराई। मगर प्रदेश नेतृत्व ने यह कह अभी फिलहाल इन नेताओं को चुप कर रखा है कि अभी इस फैसले का वक्त नहीं आया है। इस संबंध में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की और कहा कि कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी रहे या एकला चलो की नीति अपनाए, इसका फैसला समय और परिस्थिति करेगी।