क्यों होता है लोकसभा में ग्रीन और राज्यसभा में रेड कारपेट?

देश की 17वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हुआ. संसद का मानसून सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलेगा. इस सत्र की कार्यवाही अगर आप टीवी पर देख रहे होंगे तो गौर कीजिएगा कि लोकसभा में हरे रंग का कारपेट बिछा होता है. शायद ये आपने पहले भी गौर किया होगा कि लोकसभा में हरे और राज्यसभा में लाल रंग का कारपेट होता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? दिल्ली स्थित संसद की इमारत गोलाकार है, लेकिन इसके अंदर लोकसभा और राज्यसभा के कक्षों का आकार क्या है? आइए, संसद भवन के भीतर की कुछ दिलचस्प बातें जानें. 

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लोकसभा और राज्यसभा के अंदरूनी ढांचे में क्या फर्क हैं? और इन अंतरों के पीछे क्या कारण रहे हैं? इस संक्षिप्त लेख में इन तमाम बातों पर गौर करते हैं. एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर के डिज़ाइन पर बने संसद भवन का उद्घाटन 1927 में किया गया था. 6 एकड़ में फैले इस भवन को गोलाकार बनाया गया था और इसके डिज़ाइन का मुख्य स्रोत या प्रेरणा मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर की वास्तुकला थी.

क्यों होते हैं अलग-अलग कारपेट?

गोल इमारत यानी संसद भवन के अंदर लोकसभा और राज्यसभा दो सदन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं. लोकसभा में ग्रीन कारपेट बिछाया जाता है और राज्य सभा में रेड कारपेट. ऐसा किसी संयोगवश नहीं, बल्कि सोच विचारकर किया जाता है. चूंकि लोकसभा भारत की जनता का सीधे प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए इन प्रतिनिधियों के ज़मीन से जुड़े होने के प्रतीक के तौर पर हरे रंग का इस्तेमाल होता है.

घास या बड़े स्तर पर कृषि का प्रतीक हरे रंग को माना जाता है. दूसरी ओर, राज्यसभा संसद का उच्च सदन कहलाता है. इसमें प्रतिनिधि सीधे चुनाव के ज़रिए नहीं बल्कि राज्यों के जन प्रतिनिधियों के आंकड़ों के हिसाब से पहुंचते हैं. राज्य सभा में रेड कारपेट बिछाने के पीछे ​दो विचार रहे हैं. एक लाल रंग राजसी गौरव का प्रतीक रहा है और दूसरा लाल रंग को स्वाधीनता संग्राम में शहीदों के बलिदान का प्रतीक भी समझा गया है. इस विचार के चलते राज्य सभा में रेड कारपेट बिछाया जाता है.

 

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