अर्थव्यवस्था पर अब कांग्रेस को दोष नहीं दे पाएंगे मोदी

हिंदुस्तान टाइम्स के संपादकीय में सत्रहवीं लोकसभा के पहले सत्र को लेकर लिखा है कि ये लोकसभा कई वजहों से ख़ास है. इस बार दोनों सदनों में सत्ताधारी पार्टी के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर होंगे. एक बार फिर नेता विपक्ष नहीं होंगे. लेकिन फिर भी आम सहमति बनाना एक चुनौती होगी.
इतने बड़े जनमत को सरकार दो तरह से इस्तेमाल कर सकती है. या तो वो विपक्ष को साइडलाइन कर अपना एजेंडा लागू करे या जहां सहमति नहीं है वहां जनता को मनाने की कोशिश करे. महिला आरक्षण बिल और प्रदूषण ऐसे मुद्दे हैं. इस बार मोदी सरकार से प्रदूषण पर कोई नीति-कानून लाने की अपेक्षा है.
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साथ ही इस बार अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के पास कांग्रेस को दोषी ठहराने की गुंजाइश नहीं होगी. ऐसे बहुत से मुद्दे होंगे जहां सरकार को विरोध झेलना पड़ेगा जैसे एनआरसी बिल, आर्टिकल 370 और 35ए को हटाने की कोशिश. इस बार अयोध्या पर जो सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आएगा, उसके नतीजे को भी सरकार को झेलना होगा.

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