लोकसभा चुनाव बीतने के बाद कर्नाटक के कई किसानों के बैंक अकाउंट से कर्ज माफी की वो रकम गायब हो गई, जो राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव में किए अपने वादों के तहत दी थी. द न्यूज मिनट की खबर के मुताबिक कलबुर्गी जिले के रहने वाले शिवप्पा नाम के किसान को राज्य सरकार की कर्ज माफी स्कीम के तहत कुछ पैसे मिले थे, जो 3 जून को उनके अकाउंट से गायब हो गए.
पैसे गायब होने की जानकारी पाने के बाद जब वह बैंक गए तो उन्हें बताया गया कि पैसे राज्य सरकार को रिफंड कर दिए गए हैं. 60 वर्षीय शिवप्पा ने कहा कि बैंक कर्मियों ने उन्हें बताया कि सरकार ने सभी बैंकों को नोटिस जारी करते हुए कर्ज माफी की रकम सरकार को रिफंड करने की बात कही थी.
ये भी पढ़ें महिलाओं को मुफ्त यात्रा के ‘केजरीवाल प्लान’ को DMRC ने चुनावी पटरी से उतारा13,000 से ज्यादा किसानों से वापस लिए कर्ज माफी के पैसेकई किसान संगठनों के मुताबिक ऐसा सिर्फ शिवप्पा के साथ नहीं बल्कि 13,000 से ज्यादा किसानों के साथ हुआ है. किसानों का मानना है कि सरकारन ने सिर्फ चुनाव जीतने के लिए किसानों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए थे. जो कि चुनाव खत्म होने के बाद वापस ले लिए गए.
मालूम हो कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले, राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि अप्रैल 2019 तक 7.49 लाख किसानों के 4,830 करोड़ रुपए के कमर्शियल बैंकों में कर्ज माफ किए गए थे. साथ ही 8.1 लाख किसानों के 3,488 करोड़ रुपये के सहकारी बैंकों के कर्ज माफ किए गए.
कुमारस्वामी ने केंद्र सरकार को ठहराया दोषीराज्य सरकार ने इन रिपोर्टों का खंडन न करते हुए इसका दोष बैंकों और केंद्र सरकार पर डाला है. मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि सोमवार को आयोजित एक ऑडिट के दौरान राज्य में 13,988 किसानों के बैंक खातों में विसंगति का उल्लेख किया गया था.
उन्होंने कहा, “मैंने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 14 जून को दोपहर 2.30 बजे कई बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई है. इस बीच, बैंकों को यह बताने के लिए कहा गया है कि पैसा क्यों रिफंड किया गया है. कुमारस्वामी ने केंद्र सरकार को दोषी और जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह विसंगतियां केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों में हुई हैं.