उत्तराखंड के पूर्व सीएम खंडूड़ी से तय होती रही दिवंगत भाजपा नेता उमेश की सियासी हैसियत

दिवंगत भाजपा नेता उमेश अग्रवाल के साथ पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के अटूट रिश्ते की लंबी कहानी रही है। उत्तराखंड की राजनीति में जब-जब बीसी खंडूड़ी ताकतवर रहे, तब तब उमेश अग्रवाल के सियासी रसूख में बढ़ोतरी हुई। खंडूड़ी कमजोर हुए, तो उपेक्षा और हाशिये पर जाने की तकलीफ उमेश अग्रवाल को भी उठानी पड़ी। राजनीति की कच्ची-पक्की और काफी हद तक अविश्वसनीय डगर पर उमेश अग्रवाल हमेशा खंडूड़ी के ‘सच्चे-सिपाही’ रहे। राजनीति मेें अपने लिए नई राह न भी निकली, लेकिन उमेश ने खंडूड़ी का साथ छोड़कर किसी और की शरण नहीं ली। इसके अलावा, भाजपा पार्टी के साथ भी उनके अटूट रिश्ते बने रहे।
दरअसल, वर्ष 1991 में रामलहर के साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए पहली बार जब गढ़वाल सीट पर खंडूड़ी की दावेदारी सामने आई, तब से ही अग्रवाल के साथ उनके रिश्ते बन गए। उस वक्त देहरादून शहर का ज्यादातर हिस्सा गढ़वाल लोकसभा सीट का हिस्सा होता था। खंडूड़ी चुनावी राजनीति में नए थे और देहरादून शहर में अपने लिए मजबूत साथी की तलाश कर रहे थे। उमेश उनके संपर्क में आए, तो फिर हमेशा के लिए उन्हीं के होकर रह गए। दो महीने पहले उमेश अग्रवाल ने खंडूड़ी से अपने जुड़ाव की बातें ‘अमर उजाला’ से साझा की थी। तब उमेश ने कहा था-मैंने खंडूड़ी जी के लिए लोकसभा चुनाव में खूब मेहनत की थी। मैं भाजपा का कार्यकर्ता था, इसलिए मुझे यह सब करना ही था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद खंडूड़ी मुझसे मिलने मेरे घर आए और धन्यवाद अदा किया। उनकी यह बात, साफगोई दिल में उतर गई और तय कर लिया कि इनके साथ ही रहना है।

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