SP-BSP की करारी हार के बावजूद मंथन के मूड में नहीं हैं मायावती

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के अश्वमेध का रथ रोकने और अपने सियासी वजूद को दोबारा पाने से लिए बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा से सारी दुश्मनी भुलाकर हाथ मिलाया. इसके बावजदू नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में सपा-बसपा गठबंधन पूरी तरह से धराशाई हो गया है. इस करारी हार के बाद सपा में मंथन का दौर शुरू हो गया है. वहीं, मायावती खामोशी अख्तियार किए हुए बैठी हैं और हार की समीक्षा के लिए मंथन करने के मूड में नहीं दिख रही हैं.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी गठबंधन सूबे में 64 सीटों के साथ वापसी की है.  बीजेपी 62 और उसकी सहयोगी अपना दल 2 सीटें जीतने में कामयाब रही. जबकि दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन को महज 15 सीटें ही जीत सकी है. इनमें बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिली हैं. जबकि दोनों दलों ने 50 से ज्यादा सीटें जीतने का मंसूबा पाल रखा था. यही वजह रही कि चुनाव नतीजे से पहले मायावती ने खुद को पीएम का उम्मीदवार बताया था.
लोकसभा चुनाव में मिली हार से सपा ही नहीं बल्कि विपक्ष में उथल-पुथल मची हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हार के चलते जहां अपना इस्तीफा देने की जिद पर अड़े हुए हैं. वहीं, बिहार में आरजेडी हार के कारणों का पता लगा रही है. इसके अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव संगठन में कई तरह के बदलाव करने के मूड में हैं. प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई और नेताओं की छुट्टी कर जमीन से जुड़े नेताओं को तवज्जो देने की दिशा में मन बना रहे हैं.

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