HAL की नकदी 14 साल के न्‍यूनतम स्‍तर पर, रक्षा मंत्रालय ने नहीं चुकाया हजारों करोड़ का बिल

हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) के पास सिर्फ 140 करोड़ रुपये कैश-इन-हैंड बचा है. यह साल 2004 के बाद का न्‍यूनतम आंकड़ा है. 31 मार्च, 2019 को खत्‍म हुए वित्‍तवर्ष में इस DPSU पर रक्षा मंत्रालय का करीब 14 हजार करोड़ रुपये बकाया था. मार्च 2018 से तुलना की जाए तो HAL के कैश-इन-हैंड में तब के 6,524 करोड़ रुपये के मुकाबले 98% की गिरावट आई है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जो भुगतान बकाया हैं, वे उन उत्‍पादों और सेवाओं के लिए हैं, जो एचएएल पहले ही डिलीवर कर चुका है. सबसे ज्‍यादा बकाया भारतीय वायुसेना पर है.
 
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31 दिसंबर तक, सेनाओं का HAL पर 15,700 करोड़ रुपये बकाया था. रक्षा मंत्रालय ने कुछ बिलों का भुगतान किया, मगर इसके बावजूद 31 मार्च, 2019 को HAL के 13,938 करोड़ रुपये बकाया थे. नकदी की खराब हालत के बावजूद, एचएएल ने 2018-19 में केंद्र सरकार को 662 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है.
पिछले साल लेना पड़ा था उधार
2003-04 से लेकर 2018-19 तक के आंकड़े दिखाते हैं कि HAL का कैश बैलेंस इतना कम कभी नहीं रहा. इतने साल में सबसे कम 2003-04 में देखने को मिला था, जब यह आंकड़ा 4,841 करोड़ रुपये था. आर्थिक संकट से जूझ रही HAL को पिछले साल पहली बार उधार लेकर कर्मचारियों का वेतन देना पड़ा था.
एचएएल को दिसंबर 2018 में 962 करोड़ रुपये उधार लेने पड़े थे. इस सरकारी कंपनी के इतिहास में वह पहला मौका था जब उसका कैश-इन-हैंड नेगेटिव में चला गया था. फरवरी 2019 में HAL के सीएमडी अनंत कृष्णन ने माना था कि एचएएल को अपनी कार्यशील पूंजी की पूर्ति के लिए बैंक से ऋण लेना पड़ा क्योंकि कंपनी को प्राप्त होने वाली रकम मिलने में देरी हुई है.

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