मोदी की जीत के साथ बढ़े मुस्लिमों पर हमले

23 तारीख को चुनाव परिणाम आते हैं। भारतीय जनता पार्टी 37.38 प्रतिशत वोट शेयर के साथ चुनाव जीतती है। और इसके साथ ही शुरू हो जाते हैं हेट क्राइम्स। बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा - लगभग हर राज्य में फीसदी वोटशेयर का घमण्ड बीजेपी समर्थक अऱाजक तत्वों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। सरकार विरोधी पत्रकारों की हो रही ट्रोलिंग इसका एक उदाहारण मात्र थी।
मध्य प्रदेश की घटना परिणामों से एक दिन पहले की है। गोमांस ले जाने की शंका में कुछ स्वयंभू गौरक्षक दो लोगों की पिटाई कर देते हैं। इसके बाद वीडियो भी वायरल करते हैं।
बेगूसराय में क्या होता है? कुछ लोग एक व्यक्ति से उसका नाम पूछते हैं। नाम बताता है - मोहम्मद कासिम। लोग गाली देते हुए कहते हैं - तुझे तो पाकिस्तान में होना चाहिए। और इतना कहकर उस व्यक्ति को गोली मार देते हैं।
हरियाणा के गुरुग्राम में एक मुस्लिम युवक जो अपने सिर पर टोपी पहने होता है, से टोपी उतारने को कहते हैं। इसके बाद जय श्री राम का नारा लगाने के लिए बाध्य करते हैं। और उसके बाद उसकी पिटाई कर देते हैं।
अलीगढ़ के सांसद हैं - सतीश गौतम। जीतते ही उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर को चेतावनी दे दी। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच सालों में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी में बीजेपी की आलोचना करने वालों का स्वागत किया गया है। वाइस चांसलर इसपर लगाम लगाएँ नहीं तो इस्तीफा दे दें।
मसअला ये है, 63 प्रतिशत वोटर्स ऐसे हैं जिन्होंने बीजेपी को विकल्प नहीं माना। क्या उन 63 प्रतिशत वोटर्स को समाज में रहने का हक नहीं। बीजेपी पारंपरिक तौर पर मुस्लिम विरोधी पार्टी के तौर पर देखी जाती है तो क्या मुस्लिमों को अधिकार नहीं इस देश में रहने का। बहुत से पत्रकार अब भी दलाली नहीं पत्रकारिता करना चाहते हैं। तो क्या उनको भी अधिकार नहीं देश में रहने का। मोदी और बीजेपी को समझ लेना चाहिए कि शपथ ग्रहण के बाद मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री होंगे न कि अपने सिर्फ 37 प्रतिशत वोटर्स के।

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