प. बंगाल में कौन सियासी बाजी जीतकर कहलाएगा बाजीगर

एक मशहूर फिल्मी डॉयलाग है ‘हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं।’ ममता बनर्जी 34 वर्षों के वामपंथी शासन का अंत कर सत्ता पर काबिज हुई थीं। उस समय ममता को ‘बाजीगर’ कहा गया था, क्योंकि जो कार्य कांग्रेस नहीं कर पाई थी वह काम ममता ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस गठित करने के महज 13 वर्ष के अंदर कर दिखाया था, लेकिन आज उसी बंगाल में तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। लोकसभा चुनाव के सभी चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है और एक्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं।
असली चुनाव परिणाम तो 23 मई को आएगा, लेकिन सभी एक्जिट पोल में जिस तरह से बंगाल की धरती पर भी कमल के खिलने के संकेत मिले हैं, उससे भाजपा का उत्साहित होना लाजिमी है। एक्जिट पोल में जो बढ़त दिखाई गई है वैसा ही यदि चुनाव परिणाम आता है तो यह भाजपा के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होगा और इसका श्रेय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उनकी टीम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी मेहनत को जाएगा। क्योंकि अमित शाह ने कुछ वर्ष पहले पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि भाजपा के लिए स्वर्ण युग उस समय शुरू होगा जब बंगाल, ओडिशा और केरल में कमल खिलेगा।

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