राजद और कांग्रेस के जमाने में कागज पर सिमट कर रह जाती थी बाढ़-सूखे की राहत : सुशील मोदी

बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद-कांग्रेस के जमाने में बाढ़ और सूखे की राहत कागज तक सिमट कर रह जाती थी और पीड़ित किसान टकटकी लगाये रह जाते थे. बाढ़ आने के तीन महीने बाद लाभार्थियों की सूची तैयार होती थी और 5-10 किलो अनाज बंटते-बंटते फिर बाढ़ आ जाती थी. उनके शासनकाल में सूखा पीड़ितों को राहत देने की कभी कोई परिपाटी ही नहीं थी.

वहीं, एनडीए की सरकार ने इस साल अल्प वर्षा और सूखे की स्थिति के मद्देनजर 25 जिले के 280 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित कर 14 लाख से ज्यादा किसानों को 913.92 करोड़ रुपये का अनुदान वितरित किया है. सूखाग्रस्त किसानों को सिंचित क्षेत्र के लिए अधिकतम दो हेक्टेयर के लिए 27000 रुपये और असिंचित क्षेत्र के लिए 13.600 रुपये की सहायता राशि दी गयी है. इसी प्रकार 2017 में आयी अचानक बाढ़ के बाद 38 लाख से अधिक पीड़ित परिवारों के बैंक खाते में 6-6 हजार रुपये की दर से 2290 करोड़ की तत्काल मदद देने के साथ ही बाढ़ राहत के कार्यों पर सरकार ने 4188 करोड़ रुपये खर्च किया.

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