मानेसर में मारुति कार प्लांट में काम करने वाले एक टेंपरेरी वर्कर ने सात दिसम्बर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी मजदूर ने अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने का फैसला किया हो। इसके पहले भी पांच अक्टूबर 2018 को मारुति के मानेसर प्लांट में एक ट्रेनी इंजीनियर ने खुद का गला रेत कर प्लांट में ही आत्महत्या की कोशिश की थी। और तो और इसी तरह की एक घटना मानेसर के होंडा प्लांट से संबंधित है। यहाँ पर भी एक टेंपरेरी मज़दूर ने नौकरी से निकाले जाने पर आत्महत्या कर ली थी।
मैनेजमेंट की हिटलरशाही और सरकार की लचर आर्थिक योजना का भुगतान आज मजदूर वर्ग अपनी जान देकर चुका रहे हैं। शर्म आनी चाहिए ऐसी सरकार को जिनके लिए गरीबों की मौत से हिन्दू -मुस्लिम एजेंडा बड़ा है।
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