दुखद और शर्मनाक भी! यूरिया की एक-एक बोरी के लिए प्रदेश के अन्नदाता को अपने प्राणों की बाजी लगानी पड़ रही है। क्या कांग्रेस सरकार ने इसी बदलाव की बात की थी? हाय लगेगी! किसानों की हाय से नहीं तो कम से कम ऊपर वाले के प्रकोप से डरो कमलनाथ! उसकी लाठी बेआवाज होती है!