Asha
RTE यानि Right to education की ज़मीनी हक़ीकत दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में देखने को मिलती है। Right to education act के तहत EWS के लिए 25% सीटें रिज़र्व होती हैं और इनमें से 3% दिव्यांग बच्चों के लिए होती हैं।लेकिन इस बार केवल 44 applications ही register हुई हैं। इसका कारण है शिक्षा निदेशालय का complex online system जिसकी वजह से parents पड़ोस के स्कूल तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। Experts का तो यह तक कहना है कि कई स्कूल इन्हें admission ही नहीं देना चाहते क्योंकि उनके लिए special teachers hire करने पड़ेंगे। कहीं कहीं system का ममज़ोर होना भी इसकी एक वजह है।
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