ये मुश्किल वक़्त है। गुस्सा है, तकलीफ है, हताशा है, जल्द से जल्द कुछ कर गुजरने की चाह भी और लापरवाही करने वालों को कठघरे में खड़ा करने की जिद भी और साथ में हम भावुक भारतीयों के गुस्से को विज्ञापन बनाकर पैसा कमाने की तरकीबें भी।
लेकिन मुझे यकीन है कि हम एक बार फिर इन मुश्किल हालात से तपकर निकलेंगे। हमने जुल्म भी बहुत देखे हैं, साजिशें भी बहुत झेली हैं। पीठ पर जख्म भी बहुत हैं और सीने पे घाव भी।
हम इस्तेमाल भी हुए हैं कभी राजनीति में, कभी बाजार में तो कभी अपनों की ही इच्छाओं में।
फिर भी हम इस दौर से बाहर निकलेंगे। हम सभी एक साथ देश प्रेम के तराने गाएंगे। देश को बचाएंगे। भारतीयता को बचाएंगे। हमारा इतिहास रहा है सब कुछ सहन करके आगे बढ़ने का। इंसानियत के हक़ में। नफरत की कोई भी आंधी हमें तोड़ नहीं पाई है। हम एक हैं। बस इस देश को प्यार करने के हमारे तरीके जुदा हैं। कोई साजिश अब तक हमारी विविधता को खत्म कर पाई है ऐसी कोई कोशिश आगे कामयाब होगी। देश के हर नागरिक की सुरक्षा सीमा पर और देश के भीतर भी हम सुनिश्चित करेंगे।
हम लड़ेंगे, भिड़ेंगे, एक दूसरे की खामियां खूबियां देखेंगे। सरकारों को जिम्मेदारी सिखाएंगे और अपने बच्चों को एक बेहतर भारत देंगे।
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