लखनऊ में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के रोड शो में उमड़ी भीड़ के बाद यह सवाल शिद्दत से पूछा जा रहा है कि क्या ये भीड़ वोटों में तब्दील होगी? क्या प्रियंका गांधी बदलाव ला सकेंगी? इस सवाल के साथ ये भी नत्थी कर दिया जाता है कि 2017 के चुनाव में अखिलेश और राहुल के रोड शो में भी ऐसी ही भीड़ थी, लेकिन नतीजे कैसे आए थे ये सबको मालूम है।
नहीं भूलना चाहिए कि ये 2017 नहीं, 2019 है। 2107 तक नोटबंदी जैसे ‘ब्लंडर’ के बाद भी मोदी में लोगों का विश्वास बना हुआ था। लोगों, खासतौर से गरीब लोगों को भ्रम था कि नोटबंदी से उनके अच्छे दिन आएंगे और अमीरों के बुरे दिन शुरू हो जाएंगे। 2019 आते-आते नोटबंदी के बुरे असर आए और लोगों का भ्रम टूटा। अब नरेंद्र मोदी पूरी तरह एक्सपोज हो चुके हैं। तीन राज्यों में भाजपा की हार में इसे देखा जा सकता है। 2017 में राहुल गांधी की छवि एक लुंजपुंज सरीखे नेता की थी, जो राजनीति को पार्टटाइम के तरह लेते थे। पिछले एक साल से राहुल गांधी राजनीतिक रूप से केवल परिपक्व हुए हैं, बल्कि उनके तेवर तीखे हुए हैं। ‘चौकीदार चोर है’ का उनका नारा क्लिक कर रहा है। राहुल गांधी ने किसानों और बेरोजगारी के मुद्दे पर जो स्टैंड लिया है, वह काबिले तारीफ है। बेरोजगारी ऐसा मुद्दा है, जिस पर मोदी सरकार को नुकसान उठाना ही पड़ेगा। जिस राफेल मुद्दे को लोग मजाक में उड़ा देते थे, अब गंभीरता से लेने लगे हैं। ‘द हिंदू’ के सिलसिलेवार खुलासे के बाद ये सामने रहा है कि प्रधामनंत्री सबको ‘बाइपास’ करके खुद राफेल की डील कर रहे थे।
इस बात को कट्टर भाजपाई भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ एकदम नाकारा साबित हुए हैं। वे सिर्फ गाय, गोबर और बूचड़खानों तक सीमित हो गए हैं। प्रदेश में जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत के बाद उनकी स्थिति और ज्यादा कमजोर हुई है। जिस तरह से जहरीली शराब कांड से भाजपाइयों ने मुंह मोड़ा है, उससे भी योगी सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है।
कुल मिलाकर सपा-बसपा गठबंधन के बाद प्रियंका गांधी का राजनीति में पदार्पण भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा। प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री उस वक्त हुई है, जब भाजपा कमजोर हो रही है। अगर भाजपा उत्तर प्रदेश में 2014 वाला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाती है और कांगे्रस 2009 से (21 सीटें) ज्यादा सीटें ले आती है, तो इसका श्रेय निश्चित रूप से प्रियंका गांधी के खाते में जाएगा। हालांकि ये भी सच होगा कि प्रियंका गांधी के साथ-साथ में इसमें राहुल गांधी का भी योगदान होगा और योगी आदित्यनाथ के नाकारापन का भी।
• 0 Upvote
• 0 Downvote
• 0 Repost
24