जिस संस्था का देश की आज़ादी में रत्ती भर भी योगदान नहीं था, आज वही संस्था देश के सैनिकों का अपमान कर रही है। शहादत और देशभक्ति के भावों का सम्मान ये लोग क्या करेंगे जिनकी विचारधारा के लोगों ने अंग्रेज़ों के लिए मुखबिरी की हो। गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को मोहन भागवत के बयान की समीक्षा करनी चाहिए।
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