Sarvjeet
“मंदिर मस्जिदों में कुछ नहीं राम और खुदा वालो
अगर होते तो बेटी को बचाने क्यूँ नहीं आए
अस्मत को बचाती रोज यहाँ साँस घुटती है
कभी आसिफ़ा की लुटती है कभी गीता की लुटती है”
• 0 Upvote
• 0 Downvote
• 0 Repost
48