महागठबंधन में अंदर ही अंदर घमासान, उलझा सीटों का गणित

आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बिहार में महागठबंधन में सीटों का गणित उलझता जा रहा है। हालांकि प्रमुख नेताओं का कहना है कि सबकुछ ठीक है। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि सबकुछ ठीक है। अंदर ही अंदर घमासान जारी है। ऐसा इसलिए क्योंकि मकर संक्रांति के बाद सीटों की घोषणा की जानी थी लेकिन इसके कई दिन बीत जाने के बाद भी घोषणा नहीं की गई है। अभी तक कोई औपचारिक चर्चा की खबर भी सामने नहीं आई है।
वहीं विपक्ष के गठबंधन में गैर भाजपा सरकारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सभी दल अपने-अपने दावे बता कर रहे हैं। राजद 27 से 20 सीटों की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस भी 12 की जगह 15 सीटों पर कायम है। वहीं राजद कांग्रेस को 10 सीटें देने पर ही सहमत है। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो अन्य घटक दलों के लिए केवल 40 सीटों में से 10 सीटें ही बच पाएंगी। 

इनमें से सबसे अधिक यानी चार सीटों पर रालोसपा, हम के जीतनराम मांझी तीन सीटों, मुकेश सहनी वीआईपी तीन सीटों पर दबाव बनाए हुए हैं। अब तो वामदलों को साथ लेकर चलने की बात भी हो रही है। वामदल के नेता डी राजा की लालू प्रसाद यादव के साथ मुलाकात के बाद ये बात सामने आई है।

बिहार में महागठबंधन के बढ़ते आकार के बावजूद कांग्रेस सीट बंटवारे में अपनी भूमिका कम नहीं करना चाहती है। एनसीपी से सांसद रहे तारिक अनवर के कांग्रेस में आने के बाद अपने खाते में एक सीट और जोडना चाहती है। जबकि तेजस्वी की मायावती से मुलाकात के बाद अगर बसपा अपना रुख बिहार की ओर से करती है उसके लिए राजद को अपने हिस्से की सीट छोडनी होगी।       

दरअसल अभी जिस फार्मूले पर कांग्रेस आगे बढ़ रही है उसमें राजद के साथ लगभग 16-16 सीटों पर सहमति बनी है। शेष छह सीटें अन्य सहयोगी दलों और निर्दलीय के लिए छोड़ी जानी हैं। हालांकि कांग्रेस 3 फरवरी को पटना में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में अपना जमीनी दमखम दिखाने के बाद ही सीटों के बंटवारे के लिए सहयोगियों के साथ बैठेगी।

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