सुक्खू पर भारी पड़े वीरभद्र सिंह, अध्यक्ष बनाने में नहीं चली

हिमाचल कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह आखिर सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर भारी पड़ गए। उनका सुक्खू को हटाने का अभियान तो कामयाब हो गया, मगर नए अध्यक्ष को बनाने में उनकी पूरी तरह से नहीं चल पाई। कभी वीरभद्र विरोधियों पंडित सुखराम और विद्या स्टोक्स के करीबी रहे सुक्खू भी आनंद शर्मा की पसंद हो चुके थे।नवनियुक्त अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर भी आनंद शर्मा और कौल सिंह ठाकुर के करीबी हैं, जिनके साथ वीरभद्र की कई बार तनातनी रह चुकी है। अध्यक्ष पद के लिए वीरभद्र की पसंद पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा माने जा रहे थे। बताया जा रहा है कि अपने बड़े विरोधी सुक्खू को हटवाने के लिए उन्होंने अपने छोटे विरोधी राठौर पर आधे मन से सहमति दी है।    

छह साल पहले सुक्खू से पहले वीरभद्र सिंह ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। वीरभद्र के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते ही उनकी सरकार सत्ता में आई थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2013 में वीरभद्र ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा। तब राहुल गांधी ने नए प्रदेशाध्यक्ष पद पर कांग्रेस के युवा नेता सुक्खू की नियुक्ति कर वीरभद्र खेमे को झटका दिया था।

सीएम रहते वीरभद्र सिंह लगातार सुक्खू को अपने निशाने पर लेते रहे और सुक्खू भी पलटकर जुबानी हमले बोलते रहे। अपनी ही कांग्रेस सरकार की महत्वाकांक्षी चुनावी घोषणा बेरोजगारी भत्ता को लागू नहीं करने पर भी सुक्खू ने सवाल उठाए।

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