अंडमान के द्वीपों में बैन हो विदेशियों की एंट्री, मनोरंजन की चीज नहीं हैं आदिवासी : एससीएसटी आयोग

अंडमान के सेंटिनल द्वीप में आदिवासियों के तीरों से अमेरिकी नागरिक की हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। आयोग ने सरकार के उस फैसले पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें अंडमान के 29 द्वीपों को पर्यटन के लिए विदेशी नागरिकों के लिए खोले जाने की इजाजत दी गई थी।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने बताया कि अंडमान के सेंटिनल द्वीप पर अमेरिकी नागरिक जॉन ऐलन चाऊ की हत्या के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। उनका कहना है कि उन्होंने पहले भी सरकार को पत्र लिख कर चेताया था कि वह अंडमान के 29 द्वीपों को विदेशी नागरिकों के लिए न खोले। साय ने बताया कि उन्हें पहले से ही इस तरह के हादसे होने का अंदेशा था।
आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक सरकार 60 हजार साल पुराने आदिवासियों को तुरंत मुख्यधारा में लाना चाहती है। लेकिन यह एकदम संभव नहीं है। वह कहते हैं कि सरकार को धीरज रखते हुए उनसे धीमे-धीमे संपर्क बढ़ाए, उनकी भाषा को समझ कर वैज्ञानिक पद्धति से उन पर शोध करें। लेकिन तब तक उन्हें संरक्षित जनजाति माना जाए और वहां पर्यटन पर प्रतिबंध लगाया जाए।

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