सबरीमाला मुद्दे पर अब आदिवासियों ने जताया विरोध, कहा अशुद्ध महिलाएं नहीं कर सकतीं मंदिर में प्रवेश

उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 साल की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा पर पिछले महीने रोक लगा दी थी और सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। उस आदेश के बाद अब पहली बार मंदिर के द्वार खुलेंगे।
हालांकि, स्थितियां अब भी सामान्य नहीं हैं। भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्तों ने मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाले आधार शिविर निलाकल में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों को रोकने के लिए रास्ते में वाहन रोके और उन्हें आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद से वहां तनाव और बढ़ गया है। 
इसी बीच सबरीमाला की आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं पर लगी बंदिशें केरल के जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाजों के रीति-रिवाज का हिस्सा हैं। आदिवासियों ने यह भी कहा कि सबरीमाला मंदिर और इससे जुड़ी जगहों पर जनजातीय समुदायों के कई अधिकार सरकारी अधिकारियों और मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीडीबी के अधिकारियों द्वारा छीने जा रहे हैं। 
 

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