सरकारों ने युवाओं को कहीं का नहीं छोड़ा

युवा पढ़ते-लिखते क्यों हैं? ग्रेजुएशन-व्रेजुएशन करके महँगे- महँगे कोचिंग इंस्टीट्यूट में क्यों समय और मेहनत खर्च करते हैं? क्या इसलिए कि कुछ वैकेंसी के भरे जाने के लिए सालों इंतज़ार करें। क्या इसलिए कि आप परीक्षा दें, वो कैंसिल हो जाए, फिर मिले तारीख़ पे तारीख़। और फिर जब सारे फेज़ेज की परीक्षाएँ दे दें, तब पता चले कि पूरी प्रक्रिया में दोष था, जिस कारण आपको रिज़ल्ट नहीं मिल सकेगा।
रोज़गार के वादे और युवाओं की उम्मीदें ज़मीन पर पड़े अंतिम सांसे ले रही हैं। दम तोड़ रही हैं। सरकार जो चुनावों के समय भाषणों नारों पोस्टरों अखबारों टीवी के ज़रिए युवाओं को लुभाने का प्रयास कर रही थी आज ख़ामोश है। ऐसा लगता है मानो चुने हुए प्रतिनिधि राजा महाराजा हो गए हैं, जो किसी भी तरह से जनता से पैसे वसूल लेना चाहते हैं। 

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