60 साल में राज्य में 9 प्रतिशत से अधिक घटी है अनुसूचित जनजातियों की आबादी, कारण जानने तीन जिलों में जाएगी टीएसी टीम

आदिवासियों की घटती जनसंख्या का कारण जानने टीएसी उपसमिति की टीम तीन जिलों का दौरा करेगी। पहले चरण के दौरा में टीएसी उपसमिति ने संथाल के साहेबगंज, दुमका और पाकुड़ जिलों का दौरा किया था। ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में बनी टीएसी उपसमिति ने गुरुवार को हुई बैठक में दूसरे दौर की यात्रा के लिए 11-13 अगस्त तक गुमला, लोहरदगा और गुमला जिलों के तीन दिवसीय दौरा पर जाने का फैसला किया। टीम के सदस्य इन जिलों के कई क्षेत्रों में घूमकर लोगों से बात करेंगे। उनसे फीडबैक लेंगे कि आखिर जनजाति समाज की जनसंख्या के घटने का कारण क्या हैं। कमेटी के सदस्य रिजर्वेशन मामले पर भी जानकारी लेंगे।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले छह दशकों में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या में नौ प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार 1951 जहां कुल आबादी का 35.8 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या थी, वहीं 1991 में घटकर यह 27.66 प्रतिशत, जबकि 2011 में यह 26.11 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस दौरान आदिम जनजातियों की संख्या में भी काफी कमी आई है। 2001 में इनकी संख्या जहां 3,87,000 थी, वहीं 2011 में इनकी आबादी घटकर 2,92,000 तक चली गई है।

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