रांची: नया राज्‍य बनने के बाद बंधी थी यहां विकास की आस, कई काम अब भी बाकी

प्रकृति और संस्कृति से समृद्ध रांची इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी भी गरीब ही है। गर्मी में पानी और बिजली, बरसात में जलजमाव और सालों भर सफाई के लिए जूझना यहां के बाशिंदों की नियति बनी हुई है। करीब सोलह वर्ष पूर्व राज्य गठन के वक्त लोगों में समस्याओं के समाधान के प्रति उम्मीद बंधी थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस दौरान शहर का लगातार विस्तार हुआ और हो रहा है। आबादी भी बढ़ रही है, जिसके समक्ष निरंतर हो रहा विकास फीका पड़ रहा है।
बीते तीन महीनों की ही बात करें तो भीषण गर्मी में लोगों को बिजली-पानी के लिए तरसना पड़ा। लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए। नगर निगम को टैंकर से जलापूर्ति के लिए 200 से अधिक स्थलों को चिह्नित करना पड़ा। ऐसे पिछले कई वर्षों से करना पड़ रहा है, फिर भी स्थायी समाधान निकालने में विफल है। यह अलग बात है कि निगम ने रोजाना चिह्नित स्थलों पर पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा था और बेहद कम स्थलों पर रोजाना पानी पहुंचाने में सफल रहा।

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