हरियाणा में अधिग्रहण से जुड़े हुड्डा सरकार के फैसले को SC ने सत्ता का दुरूपयोग बताया

सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के आदेश को रद्द करते हुए हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार के 24 अगस्त 2007 और 29 जनवरी 2010 के आदेश को रद्द कर दिया है. जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मानेसर में 688 एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण को पलटने के हुड्डा सरकार के निर्णय को गलत मंशा से लिया गया फैसला बताया है. 
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में अधिग्रहण से जुड़े तत्कालीन हुड्डा सरकार के फैसले को सत्ता का दुरूपयोग बताया. कोर्ट के फैसले से DLF और ABW आनंद राज कंपनी को झटका लगा है, क्योंकि इन कंपनियों के पास प्रोजेक्ट का जिम्मा था. दरअसल,  27 अगस्त 2004 को हरियाणा सरकार ने मानेसर, नौरंगपुर, और लखनौला में चौधरी देवी लाल इंडस्ट्रियल काम्प्लेक्स के लिए 912 एकड़ ज़मीन अधिग्रहित करने की अधिसूचना जारी की थी. 
आरोप है कि सरकारी अधिकारियों के साथ साज़िश करते हुए प्राइवेट बिल्डर्स ने सरकार के द्वारा अधिग्रहण का डर दिखाकर कम कीमत पर ज़मीन किसानों से खरीद ली. हालांकि प्राइवेट बिल्डरर्स द्वारा ज़मीन खरीद के बाद सरकार ने 2007 में अधिग्रहण के फैसले को पलट दिया था. इस पूरे घटनाक्रम से बिचौलियों को कई गुना लाभ हुआ जबकि ज़मीन के मूल मालिकों को नुक्सान उठाना पड़ा. 

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